जावरा, अग्निपथ। पंचायत से गांव में किए गए विकास कार्यों का सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत ब्योरा मांगना एक ग्रामीण को भारी पड़ गया। पंचायत के जिम्मेदारों ने उसकी मांगी गई जानकारी तो नहीं दी बल्कि उल्टे उसका बीपीएल कूपन निरस्त होने की सूचना थमा दी।
दरअसल तहसील के गाँव रियावन पंचायत में रामप्रसाद नाम के व्यक्ति ने 1 सितंबर को सूचना के अधिकार के तहत आवेदन देकर पिछले सात वर्षों मे किये कार्यो का हिसाब किताब मांगा का ब्यौरा मांगा था। पंचायत सचिव ने आवेदन की पावती पर 30 सितम्बर को पंचायत द्वारा किये कार्यो का विवरण देने को कहा था लेकिऩ पंचायत को जब जानकारी देनी थी उसके पहले 23 सितंबर को एक सूचना पत्र जारी करते है और उसमें लिखा होता है कि आप के द्वारा 1 सितंबर को सूचना का अधिकारी अधिनियम 2005 के तहत आवेदन किया है जिसमे आप द्वारा सूचना प्राप्ति हेतु बीपीएल राशन कार्ड की फ़ोटो काफ़ी संलग्न की है।
अत: राशन कार्ड न्यायलय तहसीलदार तहसील पिपलोदा जि़ला रतलाम के आदेश क्रमांक/535/ री/-1-17 पिपलोदा दिनांक 23-5-17 को जांच दल द्वारा अपात्र पाए जाने पर आप का राशन कार्ड निरस्त किया जा चुका है। सूचना के अधिकार के तहत नियमानुसार आवेदन किया जाए ताकी आप को जानकारी उपलब्ध कराई जाए।
यह है सूचना का अधिनियम
भारतीय संसद ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और सरकारी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए साल 2005 में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून बनाया था। इस कानून के तहत भारत का कोई भी नागरिक सरकार के किसी भी विभाग की जानकारी हासिल कर सकता है। आरटीआई हाथ से लिखकर या टाइप करके या फिर ऑनलाइन लगाई जा सकती है।
सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 7 में प्रावधान किया गया कि कोई भी सूचना 30 दिन के अंदर दी जाएगी। लेकिन रामप्रसाद नाम के एक व्यक्ति को एक पंचायत में आरटीआई लगाना भारी पड़ गई पंचायत ने उसे जान