गृह निर्माण समिति ने बेच दी थी करोड़ों की जमीन 30 साल बाद ईओडब्ल्यू ने केस दर्ज किया

छह साल पहले दर्ज हुई थी प्राथमिकी, संस्था सदस्य व पदाधिकारी बने आरोपी

उज्जैन,अग्निपथ। करीब तीन दशक पूर्व हुए गृह निर्माण सहकारी संस्था की जमीन घोटाले में मंगलवार को ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ) ने केस दर्ज किया है। करोड़ों रुपए की बेशकीमती जमीन बेचने के मामले में चार नामजद आरोपी के साथ संस्था पदाधिकारी व सदस्यों को आरोपी बनाया गया है। खास बात यह है कि करीब 10 साल पहले हुई शिकायत में 6 साल पहले प्राथमिकी दर्ज हुई थी। लेकिन जांच के बाद कार्रवाई अब हुई है।

बजरंग गृह निर्माण सहकारी संस्था पदाधिकारी व कार्यकारणी सदस्यों ने 1987 से 1996 के दौरान संस्था के 121 सदस्यों को प्लाट नहीं देते हुए उनके 12 लाख 9421 रुपए हड़प लिए थे। यही नहीं उक्त भूमि 18 लाख रुपए में बेचकर कूटरचित दस्तावेजों से अनुबंधित अन्य कृषि भूमि को भी बेचकर शासन एवं सदस्यों से धोखाधड़ी। यह देख संस्था के संस्थापक रहे तिलक मार्ग निवासी अशोक शर्मा ने वर्ष 2011 में ईओडब्ल्यू में शिकायत की थी।

मामले में ईओडब्ल्यू ने 27 मई 2015 को प्राथमिकी दर्ज कर जांच की। पुख्ता प्रमाण मिलने पर मंगलवार को तात्कालीन अध्यक्ष अशोक पिता भंवरलाल जैन, अशोक कपता चेलाराम रमानी, शंकरलाल पिता अंबाराम आंजना उनके भाई भगवानसिंह व बजरंग गृह निर्माण सहकारी संस्था के प्रबंध कारिणी सदस्य व कुछ कृषकों पर धारा 420, 406, 201, 467, 468, 34 भादवि एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में केस दर्ज कर दिया।

अब 500 करोड़ की जमीन

शर्मा ने बताया मामला 15.321 हेक्टेयर यानी करीब 73 बीघा 64 आरे जमीन का है। उक्त जमीन की वर्तमान कीमत करीब 500 करोड़ रुपए है। यहां लगभग 600 प्लाट काटना थे जिन पर संस्था के करीब 534 सदस्यों का अधिकार था। लेकिन संस्था पदाधिकारियों की मिली भगत से सुरेश मोढ़, राजेंद्र सुराना, सुरेश विजयवर्गीय, श्रीकांत वेशमपायन नेे टीएनसी अधिकारियों की मदद से कॉलोनियां काट दी। संस्था की इसी जमीन पर अर्पित नगर, स्वाति विहार, अभिषेक नगर, शिवम परिसर अर्पिता एनक्लेव बना है।

मंत्री ने मांगी थी एक माह में रिपोर्ट

शर्मा ने बताया कि जमीन घोटाला 1994-95 के दौरान हुआ था। मामला में शिकायत होने पर 27 दिसंबर 1995 को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री व सहकारिता मंत्री सुभाष यादव ने खुले मंच से मामले की एक माह में जांच कर रिपोर्ट मांगी थी। इसी दौरान 1997 में उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था और गड़बड़ी जारी रखने पर 2011 से लगातार शिकायत की थी।

इनका कहना है..

बजरंग गृह निर्माण सहकारी संस्था के तत्कालीन संचालकों व कृषकों ने भूखंड विकसित नहीं कर 121 सदस्यों को देने की जगह बेचकर धोखाधड़ी की है। मामले में संस्था के तत्कालीन पदाधिकारी, संचालक व कृषकों पर केस दर्ज किया है। -दिलीप कुमार सोनी, एसपी ईओडब्ल्यू

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