हरसिद्धि मंदिर में पंचामृत अभिषेक के बाद घटस्थापना, आकर्षक दीपमालिकाएं प्रज्जवलित
उज्जैन, अग्निपथ। श्राद्धपक्ष समाप्त होते ही गुरुवार से 8 दिवसीय नवरात्रि पर्व की शुुरुआत हुई। पहले दिन देवी मंदिरों सहित लोगों ने अपने घरों में घटस्थापना कर पर्व की शुरुआत की। किसी ने व्रत की शुरुआत की तो किसी ने चप्पल छोड़ी तो किसी ने मौन व्रत धारण कर मां की मिन्नतें करना शुरू कर दिया है। पहले दिन एकम और दूज तिथि एकसाथ होने से लोगों में असमंजस का माहौल दिखा। हालांकि बाजारों में शाम तक देवी प्रतिमाओं की खरीदी चलती रही।
उज्जैन शहर मंदिरों का शहर है और यहां पर राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी विराजमान हैं। पहले दिन सभी देवी मंदिरों हरसिद्धि, गढक़ालिका, चामुंडा माता, नगरकोट महारानी, सावन भादवा माता, भूखी माता, चौबीस खंबा माता मंदिर सहित अन्य छोटे बड़े देवी मंदिरों में सुबह शुभ मुहूर्त में घटस्थापना की गई। हरसिद्धि मंदिर में सुबह 4 बजे माता का पंचामृत पूजन किया गया। पुजारी रेखागिरी और रजत पुजारी ने बताया कि इसके बाद माता का श्रृंगार किया गया। सुबह की आरती की गई और घटस्थापना पूजन के बाद आरती कर दर्शन का सिलसिला शुरू करवाया गया। दिनभर देवी मंदिरों में लोगों का तांता लगा रहा।
दीपमालिकाओं का विशेष आकर्षण
हरसिद्धि मंदिर में शाम को घंटे घडिय़ालों के बीच दीपमालिकाएं प्रज्जवलित की गईं। बाहर से आने वाले श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में इसको देखने के लिए यहां पर मौजूद रहे। हरसिद्धि मंदिर के प्रशासक अवधेश जोशी ने बताया कि इन श्रद्धालुओं में दीपमालिकाओं के प्रति विशेष आकर्षण है। जिसके चलते पूरे नौ दिन दीपमालिकाओं की बुकिंग रहती है। एक दिन में दो से तीन श्रद्धालुओं द्वारा भी बुकिंग कर दीपमालिकाएं जलवाई जाती हैं। यह नवरात्रि पर्व के दौरान ही होता है।
100 से 20 हजार तक बिकीं प्रतिमाएं
वहीं घरों में भी लोगों ने माता की प्रतिमाओं की स्थापना की। पूरे नौ दिन निराहार अथवा फलहारी होकर श्रद्धालु माता का मनाने का प्रयास करेंगे। बाजार में माता की सुंदर प्रतिमाएं बिकने के लिए रखी गई थीं। जिसमें 100 रुपए से लेकर 20 हजार रुपए तक की प्रतिमाएं थीं। हालांकि यह सभी प्रतिमाएं पीओपी से निर्मित थीं। लेकिन पर्व विशेष होने के कारण जिला प्रशासन ने ज्यादा सख्ती नहीं दिखाई। बड़ी प्रतिमाएं गाजे बाजे के साथ पांडाल में विराजित करने के लिए ले जाई जाती रहीं।