उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में सफाई का ठेका संभालने वाली केएसएस कंपनी को डेढ़ वर्ष पूर्व दिया गया था। लेकिन इन सुरक्षाकर्मियों का ना तो पुलिस वैरीफिकेशन कराया गया और ना ही इनसे प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र लिया गया। ऐसे में बिना किसी अनुभव के सुरक्षाकर्मी मंदिर के आने वाले श्रद्धालुओं से विवाद कर मंदिर की छवि को धूमिल कर रहे हैं।
करीब 2 माह पहले मंदिर का ठेका संभालने वाले पूर्व एसआईएस कंपनी का ठेका बदलकर सफाई का जिम्मा संभालने वाले केएसएस कंपनी को दे दिया गया था। लेकिन ना तो कंपनी के एसओ जितेन्द्र चावरे और ना ही मंदिर के सुरक्षा प्रभारी दिलीप बामनिया ने सुरक्षाकर्मियों का पुलिस वैरीफिकेशन कराया जाना उचित समझा।
बिना पुलिस वैरीफिकेशन के आज भी सुरक्षाकर्मी नौकरी कर रहे हैं। जिनमें बड़ी संख्या में ऐसे सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। जिनके आपराधिक रिकॉर्ड भी हैं। पूर्व में ठेका संभालने वाली एसआईएस कंपनी द्वारा भी सुरक्षाकर्मियों का पुलिस वैरीफिकेशन नहीं लिया गया था। जिस पर मंदिर के किसी भी अधिकारी ने मुख्यता सुरक्षा प्रभारी ने पुलिस वैरीफिकेशन देखना उचित नहीं समझा और आपराधिक किस्म के लोग सुरक्षाकर्मी बनकर नौकरी करते रहे।
अब हालत यह है कि सुरक्षाकर्मी प्रवेश के साथ-साथ भस्म आरती दलाली में भी अपना हाथ बंटा रहे हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक पेशेवर सुरक्षाकर्मी और एक पीछे के गेट से भर्ती सुरक्षाकर्मियों में कितना अंतर होता है। जो की मंदिर की छवि को दागदार करने पर उतारू हो रहे हैं।
हाल ही में एनआरआई वाला मामला भी सुर्खियों में छाया रहा। जिसमें सुरक्षा कर्मी द्वारा महिला श्रद्धालु से दुव्र्यवहार किया गया था। मामला महाकाल थाने तक भी पहुंचा था। लेकिन प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ के हस्तक्षेप के बाद मामला ठंडा पड़ गया और इन दानदाताओं को सम्मान भी दिया गया।
प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र भी नहीं लिया
मंदिर के सुरक्षा प्रभारी की लापरवाही के कारण पूर्व में सुरक्षा का ठेका संभालने वाली एसआईएस कंपनी ने भी सुरक्षाकर्मियों को रखते समय उनसे प्रशिक्षण प्रमाण पत्र नहीं लिया।
लिहाजा वर्तमान में काम करने वाले आधे से अधिक सुरक्षाकर्मियों के पास प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र का अभाव है। ऐसे में बिना प्रशिक्षण के नौकरी कर रहे सुरक्षाकर्मी श्रद्धालुओं से बेवजह विवाद कर मंदिर की छवि को दागदार कर रहे हैं।
सफाई कर्मियों को बना दिया सुरक्षाकर्मी
आउट सोर्स कंपनी केएसएस द्वारा सफाई करने वाले सफाई कर्मियों को भी सुरक्षाकर्मी बना दिया गया और उनको विभिन्न प्रवेश द्वारों पर भी तैनात कर दिया। ऐसे में बिना किसी अनुभव के इनके द्वारा मंदिर के अंदर और बाहर नौकरी की जा रही है और श्रद्धालुओं से दुव्र्यवहार कर मंदिर की छवि धूमिल की जा रही है।
सफाई कर्मियों को सुरक्षाकर्मी क्यों बना दिया गया यह तो कंपनी के एसओ ही बता सकते हैं। लेकिन इतना तो तय है कि आगामी अक्टूबर माह के अंत में डाले जाने वाले सुरक्षा के टेंडर में केएसएस कंपनी को मंदिर प्रशासन को शामिल नहीं होने देना चाहिए।
सुपरवाइजर धर्मेन्द्र परमार बाहर
पूर्व में सुरक्षा का ठेका संभालने वाली एसआईएस कंपनी में सबके चहेते रहने वाले सुपरवाइजर धर्मेन्द्र परमार को केएसएस कंपनी ने मंगलवार को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। बताया जाता है कि परमार पर पूर्व में कई आरोप लगे थे और हाल ही में चार सुरक्षाकर्मियों को सांठगांठ कर श्रद्धालुओं को प्रवेश कराने का दोषी पाते हुए नौकरी से हटा दिया गया था।
इधर इन सुरक्षाकर्मियों का कहना था कि सुपरवाइजर धर्मेन्द्र परमार उनसे इसमें से हिस्सा बांटी करता था। कंपनी के एसओ जितेन्द्र चावरे ने मामले में दोषी पाते हुए उसको नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।