उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम के फायर ऑफिसर अजय सिंह राजपूत इन दिनों अपने ही विभाग के कुछ लोगों के निशाने पर आ गए है। रामघाट पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी से डीजल चोरी किए जाने के आरोपों के बाद अब फायर ऑफिसर पर लॉग बुक खुद ही भरने और फायर ब्रिगेड से जुड़ी सामग्री अपनी मर्जी से क्रय करने के आरोप लगे है। हालांकि इन आरोपों के पीछे राजपूत के पास अपने तथ्य भी है।
फायर ऑफिसर अजय सिंह राजपूत 2 साल पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके है। सेवानिवृत्ति के बाद वे बतौर संविदा नियुक्ति फायर ऑफिसर का प्रभार संभाल रहे है। नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता को पिछले दिनों अजय सिंह राजपूत से जुड़ी दो और शिकायतें मिली है। एक शिकायत में कहा गया है कि वे संविदा कर्मचारी है इसके बावजूद फायर ब्रिगेड के वाहनों की लॉगबुक खुद ही अपने पास रखते थे और इन्हें खुद ही भरते भी थे। जबकि यह काम वाहन चलाने वाले ड्राइवर को करना होता है।
इसके अलावा एक शिकायत यह भी थी कि फायर ऑफिसर राजपूत खुद अपनी मर्जी से फायर ब्रिगेड का सामान खरीदते रहे है। फायर ब्रिगेड के खर्च से जुड़े हिसाब में कई जगह पेड बाय मी शब्द लिखा हुआ है। इन दोनों ही शिकायतों को आधार बनाकर शिकायतकर्ताओं ने उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए है।
फायर ऑफिसर ने रखे ये तथ्य
फायर ऑफिसर अजय सिंह राजपूत का कहना है कि फायर ब्रिगेड इमरजेंसी सर्विस की श्रेणी में आता है। किसी छोटे से काम के लिए गाड़ी को कभी खड़ा नहीं रखा जा सकता। इसी वजह से नगर निगम से उन्हें 25 हजार रूपए तक की सामग्री क्रय करने के अधिकार मिले हुए थे। जहां भी यह रकम खर्च की जाती है, उसका बकायदा हिसाब लेखा विभाग को दे दिया जाता था।
लॉगबुक के संबंध में राजपूत का कहना है कि पूर्व के सालों में उज्जैन में लॉगबुक फाड़ दी जाती थी। कई बार ऑडिट ने भी इस पर आपत्तियां ली, इसी वजह से मेरी पदस्थापना होने के बाद से ही लॉगबुक मैं अपने पास सुरक्षित रखने लगा था। यह क्रम आज भी जारी है, लेकिन लॉगबुक को वाहनों के ड्राइवरों द्वारा ही भरा जाता है।