उज्जैन कृषि उपज मंडी में 22 हजार सोयाबीन बोरी की आवक, नई व्यवस्था में होने लगा काम

उज्जैन, अग्निपथ। कृषि उपज मंडी में सोयाबीन की आवक बढऩे लगी है। सोमवार को 22 हजार 264 बोरियों की आवक हुई। यह माडल भाव 5 हजार 115 के मुकाबले 5 हजार 600 रुपए क्विंटल अधिकतम रेट में बिकी। वहीं न्यूनतम 2 हजार रुपए में सोयाबीन बिकी।

मंडी में आज 25 हजार  776 बोरियों की आवक हुई है। इसमें सभी तरह की फसलें शामिल हैं। लोकवान गेहूं की 2 हजार 37 बोरियों की आवक हुई यह अधिकतम 2 हजार  363 के दाम में बिकी। पोषक गेहूं की 537 बोरियां अधिकतम 2 हजार 360 रुपए के दाम में बिकी। चना शरबती 545 बोरियां अधिकतम 8 हजार 811 के दाम में बिकी। चना शंकर की 269 बोरियां अधिकतम 5 हजार 500 और बटला की 41 बोरियां अधिकतम 5 हजार  476, उड़द की 11 बोरियां अधिकतम 5 हजार  681 के दाम में बिकी। किसानों के लिए मंडी में पानी और अन्य व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं। वहीं तौल को लेकर भी अभी व्यवस्था नहीं बन पाई है।

नई व्यवस्था से मंडी में दो बार होने लगी नीलामी, शेडो में पहले नीलामी को लेकर विवाद शुरू

उज्जैन कृषि उपज मंडी में नई व्यवस्था सोमवार से लागू हुई है। इसके तहत सुबह 9 बजे से 12 बजे और दोपहर 2 बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक नीलामी होने लगी है। नीलामी के लिए अलग शेड बनाए गए हैं। सोमवार को इन शेड़ों में नीलामी कर्मचारियों की कमी की वजह से दिन भर विवाद होते रहे।

मंडी प्रशासन का कहना है कि उनके पास सिमित संख्या में नीलामी कराने वाले कर्मचारी हैं। इसलिए वे एक साथ तीन शेडों में नीलामी कराने में असमर्थ हैं। वहीं किसान सुबह से आ जाता है तो नीलामी में देरी होने पर विवाद करने लगता है। वहीं हम्माल भी अभी नई व्यवस्था से सहमत नहीं हो पाया है।

कई हम्मालों का कहना है कि मंडी में आवक ज्यादा होने से देर रात तक माल ढुलाई का काम चलता है। इसलिए सुबह जल्दी फिर से काम शुरू करने में परेशानी होती है। ऐसे में देरी होने पर किसान और व्यापारियों से विवाद होने लगता है।

मंडी में पांच दिन की छुट्टी को लेकर विवाद

मंडी में पांच दिन की छुट्टी को लेकर व्यापारियों के बीच विवाद शुरू हो गया है। अभी मामला अभी सुलझ नहीं पाया है। इस संबंध में मंडी के व्यापारी हजारीलाल मालवीय का कहना है कि मंडी में अष्टमी से दशहरा तक अवकाश रखने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। व्यापारी इसी परंपरा को बहाल रखना चाहते हैं।

जबकि नई कार्यकारिणी के कुछ पदाधिकारी चाहते हैं कि पांच के स्थान पर चार छुट्टी रखी जाए। इसलिए छुट्टी को लेकर कोई आम सहमति नहीं बन पाई है। सभी की राय लेने के बाद अंतिम फैसला होगा।

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