बदनावर अनुभाग में पौने तीन लाख क्विटंल सोयाबीन उत्पादन होने का अनुमान
बदनावर, (अल्ताफ मंसूरी) अग्निपथ। मालवा में पीले सोने से विख्यात सोयाबीन की फसल के शुरूआती भाव से किसानों के चेहरे दमक उठे है। धार जिले में बदनावर अनुभाग में खरीफ में मुख्य फसल सोयाबीन ही बोई जाती है। इस वर्ष कुल रकबे के 91 फीसद हिस्से में सोयाबीन बोई गई थी। इधर दो दिनों से मंडी में सोयाबीन की बंपर आवक बनी हुई है। हालाकि रूक रूक हो रही बारिश से सोयाबीन कटाई में देरी हुई है। फिर भी शुरूआती दौर में मंगलवार को भी 13 हजार बोरी की आवक रही। तथा उच्चतम भाव भी 5 हजार 900 रूपए प्रति क्विंटल के भाव बिकी है।
70 के दशक में सोयाबीन की फसल पहली बार धार जिले के अनारद में बोई गई थी। तब काली सोयाबीन बोई जाती थी, जिसे आम भाषा मे कुलतिया कहा जाता था। 80 के दशक में इसने विस्तार पाया और 90 के दशक में तो ये मालवा क्षेत्र में खरीफ की मुख्य फसल बन गई। शुरुआत में पीके-1 और एनआरसी-7 बोई जाती थी। बाद में कृषि अनुसंधान द्वारा कई प्रयोगों के बाद आज करीब 20 वैराइटी की सोयाबीन उपलब्ध है। 90 दिनों में तैयार होने वाली अर्ली वैराइटी का चलन ज्यादा है। बदनावर क्षेत्र में भी सोयाबीन का रकबा जिले में सर्वाधिक है।
यहां अनुभाग में 80 हजार 300 हेक्टेयर कृषि भूमि है। जिसमें से इस वर्ष 73 हजार 190 हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोई गई थी। तो कुल रकबे का 91 फीसद हिस्सा होता है। जबकि 2940 में मक्का, 2380 में उद्यानिकी खेती, 650 में कपास के अलावा शेष में अन्य खरीफ फलसें बोई गई। इस वर्ष बरसाती मौसम मेहरबान रहा है और जरूरत के मुताबिक बारिश होने से फसलें खेतों में लहलहा उठी। किंतु जब इसके पकने का समय आया तो कुछ क्षेत्र में बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया।
फिर भी कृषि विभाग के अनुसार फिलहाल आनावारी चल रही है फिर भी सोयाबीन का उत्पादन प्रति बीघा 3 से 4 क्विंटल रहा है। यानि सोयाबीन के कुल रकबे के अनुसार करीब पौने तीन लाख क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन होने का अनुमान है। वैसे इस वर्ष सोयाबीन के दाम ने भी सबको चौंका दिया है।
करीब दो माह पूर्व यह 12 हजार रूपए प्रति क्विंटल के भाव तक बिकी है जो कि अब तक के इतिहास में सर्वाधिक भाव रहे हैं। और नई सोयाबीन अभी भी 6 हजार रूपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है। जानकार इसमें और तेजी का रूख बता रहे है। क्योंकि सिर्फ भारत मे ही नॉन बीटी सोयाबीन उगाई जाती है। इसकी डीओसी की मांग वैश्विक बाजार में ज्यादा रहती है। पूरे देश मे सोयाबीन के कुल उत्पादन का 64 फीसद योगदान मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र का रहता है।
दो दिन में 25 हजार बोरी की आवक
आगामी दिनों में अवकाश के चलते मंडी में दो दिनों में करीब 25 हजार बोरी की आवक रही है। इसके लिए रविवार रात से ही किसान मंडी परिसर में उपज लेकर पहुंच गए थे। सोमवार को मंडी में करीब 500 वाहनों से 13 हजार बोरी की आवक रही। दोपहर बाद बारिश होने से 150 वाहनों में भरी सोयाबीन की नीलामी नही हो पाई। मंगलवार को फिर 400 से अधिक वाहन परिसर में जमा हो गए। सुविधा की दृष्टि से इन्हें सब्जी मंडी में खड़ा करवाया गया। इनमें कुछ किसानों को तो दो दिन के बाद नंबर आया।
मंगलवार को सोयाबीन 3900 से 5950 रूप्ए प्रति क्विटंल के भाव बिकी है। इसमें भी सोमवार से 50 रूपए प्रति क्विंटल का उछाल आया। अब जबकि दशहरा के अवकाश के कारण मंडी में सोमवार को नीलामी होने से आवक बढऩे की संभावना रहेगी।