चीन ने अचानक भारत पर किया था हमला
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख से लेकर अब पूर्वोत्तर इलाकों में ड्रैगन की नापाक हरकतों की वजह से भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद जारी है। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद तो खासा पुराना है, लेकिन 1959 के तिब्बती विद्रोह के बाद जब भारत ने दलाई लामा को शरण दी तो चीन ने भारत के खिलाफ जैसे मोर्चा ही खोल दिया।
इसकी परिणिति 20 अक्टूबर 1962 को दोनों देशों के बीच पूर्ण युद्ध के रूप में हुई। आज ही का वह दिन था, जब चीन ने बातचीत की आड़ में भारत के खिलाफ जंग की शुरुआत कर दी थी।
चीन की सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू किये। दुर्गम और बर्फ से ढकी पहाड़ियों का इलाका होने के कारण भारत ने वहां जरूरत भर के सैनिक तैनात किए थे, जबकि चीन पूरे लाव-लश्कर के साथ जंग के मैदान में उतरा था, लिहाजा यह युद्ध भारतीय सेना के लिए एक टीस बनकर रह गया। इसके बाद चीनी सेना पश्चिमी क्षेत्र में चुशूल में रेजांग-ला और पूर्व में तवांग पर कब्जा कर लिया। चीन ने 20 नवम्बर 1962 को युद्ध विराम की घोषणा कर दी!
क्या थी युद्ध की वजह
भारत-चीन युद्ध की सबसे बड़ी वजह 4 हजार किलोमीटर की सीमा थी, जो कि निर्धारित नहीं है। इसे एलएसी कहते हैं। भारत और चीन के सैनिकों का जहां तक कब्जा है, वही नियंत्रण रेखा है। जो कि 1914 में मैकमोहन ने तय की थी, लेकिन इसे भी चीन नहीं मानता और इसीलिए अक्सर वो घुसपैठ की कोशिश करता रहता है।
युद्ध में भारत की ओर से 1383 सैनिक शहीद हुए
भारत और चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध में अगर दोनों देशों की बीच सैनिक क्षमता देखी जाए तो भारत की ओर से इस युद्ध में 10 से 12 हजार सैनिक उतरे थे। वहीं चीन की ओर से 80 हजार सैनिक युद्ध के मैदान भारत के खिलाफ लड़े। युद्ध के मैदान में भारत की अपेक्षा चीन लगभग 8 गुना अधिक सैनिकों के साथ उतरा था लेकिन उसे भारतीय सैनिकों की ओर से कड़ी टक्कर मिली। चौंकाने वाली बात यह रही कि दोनों देश के हताहत सैनिकों के संख्या में कोई बड़ा अंतर नहीं था।
युद्ध में भारत की ओर से 1383 सैनिक शहीद हुए। वहीं चीन के लगभग 722 सैनिक मारे गए। घायल सैनिकों की बात की जाए तो 1962 के युद्ध में चीन के सैनिक अधिक घायल हुए थे। चीन के लगभग 1697 सैनिक घायल हुए थे, वहीं भारत के 1,047 घायल हुए।
दोनों देशों के बीच अगर कुल क्षति की बात की जाए तो बहुत अधिक अंतर नहीं था। भारत के इस युद्ध में घायल और मरने वालों की संख्या 2430 थी वहीं चीन के घायल और मरने वाले सैनिकों की संख्या 2417 थी। हालांकि, इस युद्ध का असर यह हुआ कि चीन भारत के कई क्षेत्रों में कब्जा जमाने में कुछ हद तक सफल रहा।