बैंक प्रबंधक ने 16 लाख रुपए गबन कर बेटे के खाते में ट्रांसफर किए, 10 साल कैद की सजा

तीन अन्य धाराओं में तीन से सात साल तक का सश्रम कारावास

देवास, अग्निपथ। 16 लाख रुपए से ज्यादा के गबन के मामले में कोर्ट ने एक बैंक प्रबंधक को 10 साल कैद की सजा सुनाई है। आरोपी ने अवैधानिक तरीके से यह राशि अपने बेटे के खाते में ट्रांसफर कर ली थी। इसी मामले में उसे तीन अन्य धाराओं में भी तीन से सात साल के सश्रम कारावास की सजा दी गई है।

द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश, देवास ने प्रकरण क्रमांक 334/2018 में पंजाब नेशनल बैंक शाखा टिगरिया गोगा, देवास के पूर्व प्रबंधक आरोपी प्रकाश चिंचोलीकर को धारा भारतीय दंड विधान की धारा 409 में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1000 रुपए के अर्थदंड की सजा दी।

साथ ही धारा 467 के तहत 7 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1000 रुपये अर्थदंड, धारा 468 में 3 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1000 रुपये अर्थदंड और इसी प्रकार धारा 471 भा.द.स में 3 वर्ष के सश्रम कारावास व 1000 रुपए अर्थदंड किया है। प्रकरण में अभियोजन की ओर से मनोज हेतावल अपर लोक अभियोजन ने पैरवी की। कोर्ट मुंशी, प्रधान आरक्षक दिनेश डामोर, आरक्षण प्रीतम निमरोट का सराहनीय योगदान रहा।

यह है मामला

अभियोजन के अनुसार आरोपी प्रकाश चिंचोलीकर द्वारा ग्राम टिगरिया गोगा में शाखा प्रबंधक रहते हुए इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों (पासवर्ड) के द्वारा कपट व बेईमानी पूर्वक अवैधानिक तरीके से बैंक की राशि अपने स्वयं के पुत्र के नाम पर हस्तांतरित कर ली और बैंक को कुल रूपए 16 लाख 45 हजार 467 रुपए की आर्थिक हानि पहुंचाई। जिसकी शिकायत बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों ने पुलिस थाना औद्योगिक क्षेत्र में की थी। जिस प्रकार पुलिस को अपराध क्रमांक 274/2018 का अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण दर्ज किया था। जिस पर सुनवाई के बाद अभियोजन साक्ष्य पर विश्वास करते हुए न्यायालय ने आरोपी को उपरोक्त धाराओं में दोषी पाया। जिसके बाद उसे सजा सुनाई गई।

किस धारा में क्या अपराध व सजा

  • धारा – 409
    अपराध- लोक सेवक या बैंक कर्मचारी, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन
    सजा-10 वर्ष व अर्थदंड
  • धारा -467
    अपराध- मूल्यवान प्रतिभूति वसीयत या किसी मूल्यवान  प्रतिभूति को बनाने या हस्तांतरण करने का प्राधिकार, या कोई धन प्राप्त करने आदि के
    लिए कूटरचना।
    सजा-आजीवन कारावास तक व अर्थदंड
  • धारा –458
    अपराध- कोई व्यक्ति इस आशय से कूटरचना करता है कि कूटरचित दस्तावेज़ों को छल करने के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
    सजा-7 वर्ष व अर्थदंड
  • धारा –471
    अपराध– कूटरचित दस्तावेज जिसका कूटरचित होने का पूर्वज्ञान हो का असली के रूप में उपयोग करना।
    सजा- जो सजा ऐसे दस्तावेज की कूटरचना के संबंध में
    दी जाए।

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