तीन ग्रामों में खतरो से खेलती आस्था की अनुठी परम्परा गाय गोहरी
बडऩगर, अग्निपथ। दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा के मौके पर तहसील के तीन ग्रामों में एक बार फिर आस्था के साथ गाय-गोहरी की परम्परा का निर्वाह किया गया। जिसमें ग्राम भिड़ावद नं-2, लोहारिया व रावदिया कलां में मन्नतियों के ऊपर से सैंकड़ों गोवंश का कारवां गुजरा। जमीन पर लेटे मन्नतियों ने अपने ऊपर से गोवंश के गुजरने पर इसे भगवान का आशीर्वाद मानकर खुशी जताई। यह नजारा देखने वाले हजार लोगों ने खतरों से खेलती आस्था की अनुठी परंपरा के नजारे को अपनी आंखों में कैद कर तालियां बजाकर मन्नतियों का उत्साहवर्धन किया।
तीन ग्राम 24 मन्नती, सैंकड़ों गोवंश, हजारों आंखे
आस्था की इस परम्परा में गोवर्धन पूजा के दिन शुक्रवार को तीन ग्रामों में अलग-अलग स्थानों पर मन्नती अपनी मन्नत पुरी होने पर आस्था की परीक्षा देने को खुशी – खुशी तैयार थे। पांच दिनों से उपवास कर भजन-कीर्तन, पूजा-अर्चना के बाद तय स्थानों पर पहुंचे और जमीन पर मुंह के बल लेट गये। इसके बाद वहां ग्राम के एकत्रित गोवंश किया को एक सिरे से छोड़ा गया जो दौड़ते-कुदते इन मन्नतियों पर से गुजरा तो आसपास खड़े ग्राम के ही प्रमुख लोगों ने इन्हे उठाकर गले लगा लिया व अन्य ने ताली बजाकर खुशी का इजहार किया। इस तरह सम्पन्न हो गया गाय और गोहरी पर्व।
कपिल महाराज के अनुसार ग्राम भिड़ावद न.-2 में प्रकाश चौधरी, लाखन अग्रवाल, बद्रीलाल चौधरी, सुदेश अग्रवाल, रामेश्वर चौहान, कन्हैयालाल गहलोत, नरेंद्र सिंह गोयल, सोनू सिसोदिया, मोहन चंद्रवंशी, चंपालाल चौधरी ने आस्था के इस आयोजन में हिस्सेदारी की। इसी प्रकार ग्राम लोहारिया में गणेश माधु, राकेश माधु, ओम प्रकाश शांतिलाल, कालू निनामा, दिनेश निनामा, अशोक शुक्ला, दामू निनामा, अशोक बाबूलाल व राहुल के अनुसार रावदिया कलां से गोलू गोयल, मुन्नालाल डामर, दिनेश निनामा, महेश डामर, ईश्वर डामर व दागंखेडी के एक निवासी ने हिस्सेदारी की।
दूर – दूर से पहुंचते है लोग – कैमरे में कैद की होड़
खतरों से भरे आस्था के इस नजारे को पहले तो ग्राम के ही लोग देखते थे। किन्तु पिछले कुछ वर्षों से ग्राम के साथ आसपास के व दूरदराज क्षेत्रों से भी लोग आस्था की अनुठी परम्परा को देखने इन ग्रामों में पहुंचते हैं तो भीड़ के कारण ग्राम में मेले सा नजारा हो जाता है। यहां आने वाले लोग इस नजारे को आंखो में तो केद करते ही है। आधुनिक संचार साधनों के युग में खतरे से भरे नजारे को मोबाइल फोन में केद करने के लिए होड़ दिखाई देती है और कोई भी इसे कैमरे में कैद करने से कोई नहीं चुकता है।