गेहूं का रकबा 4 लाख 65 हजार होने की संभावना जता रहा है कृषि विभाग
उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन संभाग में उज्जैन में चने का रकबा इस बार घटने की संभावना जताई जा रही है। वहीं गेहूं के रकबा बढऩे की उम्मीद जताई जा रही है। इस समय गेहूं की 50 फीसदी बुवाई हो चुकी है। कृषि विभाग के एडीए कमलेश राठौर के मुताबिक चने का रकबा इस बार 40 हजार हैक्टेयर में रहने की संभावना है।
पिछले साल 51 हजार हैक्टेयर में चना बोया गया था। चने में डीएपी की जरूरत ज्यादा होती है। चूंकि चने को बोया जा चुका है इसलिए ज्यादा समस्या नहीं रही है। वहीं गेहूं का रकबा 4 लाख 65 हजार हैक्टेयर में होने की उम्मीद है। पचास फीसदी गेहूं को बोया जा चुका है। इसके लिए एनपीके और यूरिया के उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। सोमवार को भोपाल दो रैक भेजने के लिए डिमांड भेजी गई है। जल्द ही यह उज्जैन पहुंच जाएगी। इसे सोसायटी के माध्यम से किसानों को उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा।
डीएपी के स्थान पर एनपीके एवं एसएसपी का उपयोग करें : कृषि विभाग
उज्जैन जिले के किसानों को किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उप संचालक आरपीएस नायक द्वारा सलाह दी गई है कि फसल की बुवाई में डीएपी के स्थान पर एनपीके एवं सुपर फास्फेट उर्वरक का उपयोग करें। नायक ने कहा, डीएपी के बैग में फास्फोरस 23 किलोग्राम व नाइट्रोजन 9 किलोग्राम होता है और उसकी कीमत 1200 रुपये है, जबकि तीन बैग एसएसपी में 24 किलोग्राम फास्फोरस व 16.50 किलोग्राम सल्फर एवं एक बैग यूरिया में 21 किलोग्राम नाइट्रोजन होता है।
तीन बैग एसएसपी व एक बैग यूरिया की कीमत लगभग 1166 रुपये आती है, जबकि एक बैग डीएपी से कम है। एसएसपी उर्वरकों में सल्फर पाया जाता है जो सरसों में तेल की मात्रा को बढ़ाने का काम भी करता है। डीएपी की तुलना में तत्व की मात्रा व रुपये दोनों में ही फायदे का सौदा है। एनपीके उर्वरक भी बहुत अच्छा है। इसमें तीनों तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटेशियम पाये जाते हैं, जबकि डीएपी में दो तत्व नाइट्रोजन एवं फास्फोरस पाये जाते हैं।