मंदिर प्रशासक ने सहायक प्रशासक को व्यवस्था करने के दिए निर्देश
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में पूर्व में दानदाताओं को दान देने के बाद एक लड्डू दिया जाता था। लेकिन बाद में इस व्यवस्था को बंद कर दिया गया था। ऐसे में मंदिर की ओर से कोई भेंट नहीं मिलने के कारण दानदाताओं ने इसको अपना अपमान समझकर दान देना कम कर दिया था।
ऐसा ही एक वाकया सोमवार को घटा था। जब दानदाता ने 10 रसीद कटवाने की जगह केवल एक रसीद कटवा कर मामले की इतिश्री कर दी थी। दैनिक अग्निपथ में मंगलवार को समाचार प्रकाशित होने के बाद मंदिर प्रशासक ने सहायक प्रशासक को व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए हैं।
मामला इस तरह से है कि महाकालेश्वर मंदिर में पूर्व में ऐसे दानदाता जोकि छोटा और बड़ा दान करते थे। उनको एक लड्डू प्रसाद भेंट स्वरूप दिया जाता था। लेकिन यह व्यवस्था लापरवाही की भेंट चढ़ गई और इसको बंद कर दिया गया था। लिहाजा छोटा और बड़ा दान करने वाले अपने को अपेक्षित मानने लगे।
ऐसा ही एक मामला विगत सोमवार को सामने आया जब गुजरात से एक श्रद्धालु जिसने अपना नाम तो नहीं बताया लेकिन इतना जरूर बताया कि वह दक्षिण अफ्रीका के सुजल कुमार की ओर से 501 रुपए की 10 दान रसीद कटवाने आया था। लेकिन जब उसको इस बात की जानकारी मिली कि मंदिर प्रशासन ने लड्डू प्रसाद देना बंद कर दिया है तो उसने केवल 201 रुपए की एक रसीद कटवा कर मामले की इतिश्री कर दी। संवाददाता के सामने यह वाकया हुआ तो दानदाता से जब इसका कारण पूछा तो उसने इसके पीछे अपना सम्मान नहीं होना बताया था।
सम्मान तो किया जा रहा
हालांकि मंदिर में दान देने वाले दानदाताओं का मंदिर प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ द्वारा सम्मान किए जाने की परंपरा को शुरू किया गया है। जोकि प्रशंसनीय है। बड़ा दान देने वालों को सम्मान स्वरूप शाल और भगवान महाकाल का फोटोफ्रेम दिया जा रहा है। इसी तरह छोटे दानदाताओं की मंदिर प्रशासन एक लड्डू प्रदान कर दे तो इसको वे अपना सम्मान समझकर दान देने की ओर प्रेरित होंगे।
मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में रखेंगे मामला
मंदिर प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि मामला संज्ञान में आने के बाद उन्होंने सहायक प्रशासन को निर्देशित किया है कि मंदिर प्रबंध समिति की आगामी होने वाली बैठक में इस मामले को रखा जाए और वित्त विभाग से बकायदा अनुमति लेकर इस प्रकार की व्यवस्था को पुन: शुरू किया जाए।