चार दिनी नृत्य शृंखला का अंतिम प्रस्तुति के साथ समापन
उज्जैन, अग्रिपथ। जैसे शरीर की भाषा नृत्य है तो हस्त मुद्राएं उसके अक्षर है। जिस प्रकार पुष्प एक नृत्य कला है। वैसे ही उसकी पंखुडिय़ां उसकी हस्त मुद्राओं के समान होती है। उक्त उद्गार नईदिल्ली से आई कुचीपुड़ी नृत्यांगना अयाना मुखर्जी ने स्पीक मैके एवं आईओसीएल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित चार दिनी नृत्य शृंखला कार्यक्रम के अंतिम दिन गुरुवार को ग्रामीण क्षेत्र के दो शासकीय स्कूलों में छात्र-छात्राओं से मुखातिब होते हुए कही।
नृत्यांगना अयाना ने पहले कार्यक्रम की प्रस्तुति दोपहर 1.30 बजे से शासकीय प्राथमिक विद्यालय पालखेड़ी में दी उन्होंने नृत्य के साथ ही इसकी बारीकियों से विद्यार्थियों को अवगत कराया। यहां कलाकारों का स्वागत शिक्षिका हेमलता बरगोतिया ने किया।
दूसरी प्रस्तुति शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय चांदमुख में हुई। यहां पर अतिथियों का स्वागत प्रधान अध्यापिका सुनिता राठौर ने किया। नृत्यांगना की आकर्षक नृत्य प्रस्तुति ने सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। इसके साथ ही कायक्रम का समापन हुआ।