लुधियाना. एक पिता के हौंसले को सलाम कीजिए, जिन्होंने 14 महीने कानूनी लड़ाई लड़कर मृत बेटे के हत्यारोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराया। मामला पंजाब के लुधियाना का है। हादसा बताते हुए कार्रवाई की गई थी, लेकिन अब पुलिस ने उसे मर्डर केस में तब्दील करके हत्या का मामला दर्ज कर लिया है।
कोर्ट के आदेश पर थाना शिमला पुरी पुलिस ने मोगा के गांव बांदर डोर निवासी अमनदीप सिंह, गांव रामा निवासी हरसिमरन सिंह, संगरूर के गांव संदोड़ निवासी हैरी, चंडीगढ़ निवासी नमन गर्ग, फिल्लौर निवासी कश्यप, पटियाला निवासी सुमित तथा एक अज्ञात युवक के खिलाफ केस दर्ज करके छानबीन शुरू की है।
ASI जगतार सिंह ने बताया कि जगरांव के गांव रणधीर गढ़ निवासी बलविंदर सिंह का बेटा दया सिंह मेडिकल का स्टूडेंट था। वह लुधियाना के ईशर नगर इलाके में एक घर में बतौर पेइंग गेस्ट रह रहा था। इसी घर में मेडिकल के कुछ अन्य स्टूडेंट भी रहते थे, जो अंतिम वर्ष के छात्र थे। 9 अक्तूबर 2019 की सुबह दया सिंह का शव संदिग्ध हालात में बरोटा रोड पर नहर किनारे पड़ा मिला। शव के पास एक स्कूटर भी पड़ा था। पुलिस टीम ने शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया। पोस्टमार्टम में मौत की कोई वजह नहीं बताई गई और हादसा करार देते धारा 174 के तहत कार्रवाई कर दी।
अंतिम संस्कार करने से पहले जब बेटे को नहलाया तो पिता बलविंदर ने उसके शरीर पर चोट के निशान देखे। उन्होंने अपने स्तर पर डॉक्टर को बुलाकर जांच कराई तो दया सिंह के पैर पर घसीटे जाने के निशान थे। एक बाजू टूटी हुई थी और गर्दन का मनका भी टूटा हुआ था। बलविंदर सिंह ने इस बारे में पुलिस को जानकारी दी, लेकिन पुलिस ने पल्ला झाड़ते हुए मामले में कुछ न होने की बात कह दी। फिर उन्होंने खुद पड़ताल करने की ठानी और जहां शव मिला, वहां की CCTV फुटेज हासिल की। एक जगह उन्हें अपने काम की फुटेज मिली, जिससे सनसनीखेज खुलासा हुआ।
फुटेज में देर रात तीन बाइक और एक स्कूटर पर सभी आरोपी नजर आ रहे हैं। स्कूटर को नमन गर्ग चला रहा था और उसके पीछे उनका बेटा दया सिंह बैठा नजर आया। ये वही स्कूटर था जो शव के पास से बरामद हुआ था। बलविंदर सिंह सभी लड़कों के चेहरे पहचानते थे, क्योंकि वे कई बार घर आ चुके थे। उन्होंने जब पुलिस को यह फुटेज दिखाई तो पुलिस वालों ने यह कहकर भगा दिया कि दशहरे वाले दिन लड़के शहर में नहीं थे। उन्होंने पुलिस कमिश्नर को भी शिकायत दी, मगर वहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई। अंत में उन्होंने DGP से मिलकर बात की और मामले में कार्रवाई करते की गुहार लगाई।
DGP के आदेश पर मामले की नए सिरे से जांच पड़ताल हुई और करीब 10 महीने बाद पुलिस ने सातों आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। अब पुलिस आरोपियों की गिरफ्तार में जुटी हुई है।