देवास, अग्निपथ। भोपाल के अस्पताल के अग्निकांड के बाद सक्रिय हुए जिला प्रशासन की सख्ती ने मरीजों की फजीहत कर दी है। कलेक्टर के आदेश के बाद निजी अस्पतालों ने नए मरीज भर्ती करना बंद कर दिया है। इसके लिए बकायादा सेवाएं स्थगित करने की सूचना भी अस्पतालों में लगा दी गई है।
भोपाल के अस्पताल में अग्निकांड में नवजातों की मौत के बाद सरकार की सक्रियता पर यहां जिला कलेक्टर चंद्रमौली शुक्ला ने शुक्रवार को निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम संचालकों की बैठक ली थी। कलेक्टर कार्यालय सभाकक्ष में हुई बैठक में निर्देश दिए कि आग लगने की घटनाओं की रोकथाम के लिए जिले के सभी निजी हॉस्पिटल और नर्सिंग होम में एक सप्ताह के अंदर फायर सिस्टम जरूर लगाना है। कलेक्टर ने सख्त लहजे में यह भी हिदायत अस्पताल संचालकों को दी कि जब तक फायर सिस्टम नहीं लगा लेते, तब तक कोई नया मरीज भर्ती न करें।
प्रशासन के आदेश के बाद शनिवार को शहर के निजी अस्पतालों ने नर्सिंग होम एसोसिएशन के बैनर तले सेवाएं स्थगित करने के बोर्ड चस्पा किए। जिसमें दर्शाया गया कि कलेक्टर के मौखिक आदेशानुसार फायर सेफ्टी के सभी नियमों का पालन होने तक निजी अस्पतालों की सेवाएं स्थगित रहेगी। सेवाएं स्थगित होने से निजी अस्पतालों में भर्ती होने आने वाले मरीजों की फजीहत हुई और उन्हें इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ा। परिजनों ने बताया कि शनिवार को हमारे मरीजों का चेकअप करने के लिए डॉक्टर भी नहीं आए, जिससे हमें मरीज के स्वास्थ्य खराब होने का डर सताने लगा है। शहर के इक्का-दुक्का अस्पताल ही इलाज करते नजर आए।
कांग्रेस ने कहा तुगलकी आदेश वापस लें कलेक्टर
निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में फायर सिस्टम लगवाने तक मरीजों को भर्ती नहीं करने के कलेक्टर के फरमान की कांग्रेस ने निंदा की है। आदेश को तुगलकी फरमान करार देते हुए शहर कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी व प्रवक्ता सुधीर शर्मा ने कलेक्टर से आदेश वापस लेने की मांग की है। कांग्रेस नेताओं ने बताया कि कलेक्टर ने निजी नर्सिंग होम संचालकों को एक सप्ताह में अस्पतालों में फायर सिस्टम लगवाने और इस दौरान नए मरीजों को भर्ती नहीं करने के निर्देश व्यावहारिक नहीं है।
एक सप्ताह में निजी नर्सिंग होम संचालकों का फायर सेफ्टी के संदर्भ में एनओसी कैसे मिलेगी और इतनी जल्दी कैसे काम करवाएंगे। कम से कम इसके लिए एक माह का समय दिया जाना चाहिए। वहीं नए मरीज भर्ती नहीं करने के आदेश पर अनेक गंभीर मरीजों को देवास छोडकऱ इंदौर के हॉस्पिटल में जाना पड़ेगा।
कांग्रेस ने मांग की है कि कलेक्टर अपने आदेश में संशोधन करें और जिन नर्सिंग होम संचालकों के हॉस्पिटलों में फायर सिस्टम नहीं है उन्हें एक माह का समय निर्धारित करें और मरीजों को भर्ती पर लगाई रोक भी तत्काल हटाएं।