20 हजार के लिए अडऩा भारी पड़ा, 30 हजार रुपए अर्थदंड भी दिया
उज्जैन,अग्निपथ। लोकायुक्त के चार साल पूर्व ट्रेप प्रकरण में शुक्रवार को विशेष न्यायालय ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने 20 हजार की रिश्वत लेते पकड़ाए उद्योग विभाग के पूर्व प्रबंधक को चार साल कारावास और 30 हजार रुपए अर्थदंड दिया है। प्रबंधक ने लीज डीड बढ़ाने के लिए एक उद्योगपति से 75 हजार रुपए मांगे थे।
वेदनगर निवासी माधवी पति ललित खत्री यशस्वी क्ॅलाथ फैब्रिक की संचालिका है। उनका काम पति ललित संभालते थे। उन्होंने 27 सितंबर 2017 को जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र को फर्म की लीज डीड बड़ाने के लिए आवेदन दिया था। इस पर उद्योग विभाग के तात्कालीन प्रबंधक अरुण कुमार डे ने 75 हजार की मांगे थे।
खत्री ने 55 हजार दे दिए, लेकिन 20 हजार के लिए डे ने लीज रोक दी। मजबूरन खत्री ने घूस मांगने की रिकार्डिंग कर 16 नवंबर 2017 को लोकायुक्त के तात्कालीन एसपी रितेश कुमार गर्ग को शिकायत कर दी। उनके आदेश पर तात्कालीन निरीक्षक दिनेश रावत ने डे को पकडऩा तय किया।
योजनानुसार 18 नवंबर.2017 को खत्री डे के सेठी नगर निवास पर कैमिकल लगे रुपए लेकर गए। यहां रिश्वत लेकर जेब में रखते ही रावत ने टीम के साथ उन्हें रंगेहाथ दबोच कर धारा 7 एवं 13(2) में केस दर्ज कर दिया।
ऐसे हुई सजा
ट्रेप करने के बाद लोकायुक्त टीम ने उद्योग विभाग से खत्री के लीज की फाईल निकाली। डे के बयान लेकर घूस मांगने की रिकार्डिंग के लिए उनका वाईस टेस्ट लिया। पुख्ता प्रमाण के बाद 24 सिंतबर 2018 को विशेष न्यायालय में चालान पेश किया। मामले में अब तक की सुनवाई के बाद विशेष न्यायाधीश पंकज चतुर्वेदी ने शुक्रवार को फैसला सुनाया।
उन्होंने डे को दोषी सिद्ध होने पर दोनो धाराओं में चार-चार साल कैद व 30 हजार रुपए अर्थदंड दिया। लोकायुक्त की ओर से विशेष लोक अभियोजक (डीपीओ ) मनोज कुमार पाठक व एडीपीओ मुकेश कुन्हारे ने प्रकरण में अभियोजन का संचालन किया। मामले में जागन सिंह का सराहनीय योगदान रहा है।