देव प्रबोधिनी एकादशी आज, प्रदोषकाल में होगा तुलसी शालिगराम विवाह
उज्जैन, अग्निपथ। तुलसी विवाह प्रबोधिनी एकादशी पर विष्णु पुराण, पद्मपुराण सहित अनेक धार्मिक ग्रंथों में तुलसी विवाह का जिक्र मिलता है। हर साल भगवान विष्णु जिस दिन चार माह के शयन के बाद योग निद्रा से जगते हैं, उस दिन शाम में तुलसी के संग भगवान विष्णु के शालिगराम का विवाह करवाया जाता है। इस साल प्रबोधिनी एकादशी 14 और 15 नवंबर दोनों ही दिन को लेकर लोगों में उलझन रही। लेकिन आज एकादशी और द्वादशी की मिलन बेला में तुलसी शालिग्राम विवाह किया जाना शास्त्र सम्मत होगा।
धर्मसिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार जिस दिन एकादशी तिथि के साथ द्वादशी लग रही हो उस दिन प्रबोधिउत्सव, प्रदोष काल में मनाना चाहिए। यानी तुलसी विवाह कराना चाहिए। धर्म सिंधु ग्रंथ में बताए गए नियम के अनुसार इस साल 15 नवंबर को तुलसी विवाह कराना और प्रबोधिनी एकादशी व्रत रखना उचित होगा। ज्योतिषाचार्य और विद्वान पंडित आनंद शंकर व्यास के अनुसार 15 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी मान्य होगी।
वहीं ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि पंचांग की गणना के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से मांगलिक कार्य का आरंभ हो जाता है क्योंकि चातुर्मास का समापन भी देवउठनी एकादशी पर माना जाता है। इस दृष्टि से देवउठनी एकादशी से शुभविवाह, यज्ञोपवित, गृह वास्तु, देव प्रतिष्ठा आदि से संबंधित कार्यों की शुरुआत हो जाती है। पौराणिक मान्यता में स्मार्त तथा वैष्णो मत की परंपरा भी रही है। 15 नवंबर को वैष्णो मतानुसार देवउठनी एकादशी रहेगी।
ऐसे करवाएं तुलसी विवाह
प्रबोधिनी एकादशी के दिन देवी तुलसी के ऊपर लाल चुनरी ओढाएं। भगवान विष्णु को पीले वस्त्र पहनाएं। अगर घर में शालिग्राम है तो उन्हें पीले वस्त्र में लपेटकर तुलसी की जड़ में रखें और एक वस्त्र से दोनों का गठबंधन करवाएं। तुलसी से लेकर पूजा घर तक का रास्ता साफ करके उस पर रंगोली सजाएं। तुलसी संग भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु की आरती और तुलसी माता की आरती करें। तुलसी की जड़ में घी के दीप जलाएं।
तुलसी विवाह मुहूर्त
15 नवंबर शाम 6 बजे से 7 बजकर 39 मिनट तक प्रदोष काल में तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त रहेगा।
आज से गूंज उठेगी शहनाई
- देव प्रबोधनी एकादशी से विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों का प्रारंभ हो जाता है। हिन्दू धर्म के विद्वानों की मानें तो शुभ मुहूर्त में मांगलिक कार्य करना ्रशुभ होता है। चार माह के विराम के बाद आज से शहनाई की गूंज शुरू हो जाएगी। लेकिन कई लोगों ने एकादशी मानकर 14 नवम्बर से ही शादी के ढोल नगाड़े बजवाना शुरू कर दिए। शहर के कुछ मैरिज गार्डन और धर्मशालाओं में शादी ब्याह शुरू हो गए थे।
विवाह मुहूर्त के दिन इस प्रकार रहेंगे
पंडित डब्बवाला के अनुसार
- नवंबर में विवाह मुहूर्त- 15, 21, 28, 29, 30,
- दिसंबर- 1, 6, 7, 11, 13, (14 दिसंबर के बाद धनु संक्रांति रहेगी इस कारण विवाह मुहूर्त नहीं होंगे).
- जनवरी 2022- 22, 23, 25,
- फरवरी- 5, 6, 9,10, 18,19, (आगे संक्रेांति के कारण विवाह नहीं होंगे)
- अप्रैल- 2022, 14, 15, 19, 20, 21, 22 ,23,
- मई- 2,3,9, 10, 12, 18, 20, 26,31,
- जून- 1, 6, 8, 11, 14, 21
- जुलाई- 3, 8, 9 (आगे देवशयनी एकादशी के बाद विवाह नहीं होंगे)।