सामने ही जलाया अलाव, गर्म दूध और भोजन परोसा जा रहा
उज्जैन, अग्निपथ। तापमान में लगातार हो रही कमी के चलते अब भगवान की दिनचर्या में भी बदलाव किया गया है। दिवाली के एक दिन पहले जहां भगवान महाकाल को गर्म पानी से स्नान कराया जाना शुरू कर दिया गया है।
वहीं देवउठनी ग्यारस के अगले दिन से भगवान श्रीकृष्ण की दिनचर्या में भी बदलाव किया गया है। उन्हें गर्म दूध में भोजन परोसा जा रहा है तो सर्दी से बचाने के लिए गर्म कपड़े भी पहनाए गए हैं। सिगड़ी में अलाव जलाकर सर्दी से बचाने के इंतजाम किए गए हैं।
मंगलनाथ रोड स्थित सांदीपनि आश्रम में सर्दी शुरू होते ही बचाव के इंतजाम भी शुरू कर दिए जाते हैं। अब आश्रम में उनके सहपाठी मित्र सुदामा, गुरु सांदीपनि और गुरु माता सुश्रुशा को गर्म कपड़े पहनाए गए और गरम टोपा भी पहनाया गया है। इसके साथ ही आश्रम में भगवान कृष्ण की बाल स्वरूप प्रतिमा के सामने अंगूठी में अलाव जलाकर कमरे को गर्म रखा जा रहा है। उन्हें गर्म दूध और भोजन भी परोसा जा रहा है।
यह सिलसिला सूर्य के उत्तरायण होने तक चलेगा। मकर सक्रांति के अगले दिन से भगवान की दिनचर्या फिर सामान्य दिनों की तरह शुरू हो जाएगी। मंदिर के पुजारी पंडित रूपम व्यास ने बताया कि प्रति वर्ष अनुसार जैसे ही ठंडक दस्तक देती है, वैसे ही भगवान को यहां पर ठंड से बचाने के लिए इस तरह के जतन किए जाते हैं।
बालस्वरूप इसलिए रखते हैं अधिक ध्यान
आज से 5 हजार से भी अधिक वर्ष पहले भगवान श्रीकृष्ण उज्जैन में महर्षि सांदीपनि से शिक्षा लेने आए थे। तब उनकी उम्र 11 साल 7 दिन थी। इसलिए इस आश्रम में भगवान कृष्ण के बाल रूप में सेवा की जाती है। यहां बाल भाव से ही भगवान की पूजा आदि की जाती है।
प्रतिवर्ष जैसे ही ठंड दस्तक देती है, वैसे ही भगवान को यहां पर ठंड से बचाने के लिए उपाय किए जाते हैं। श्री कृष्ण, बलराम और सुदामा भी यहां अपने बाल्यकाल में रहे थे इसलिए इन सब की बच्चों की तरह देखभाल की जाती है।
11-12 नवम्बर को रात में सबसे ज्यादा ठंड
फिलहाल आसमान में बादल होने के चलते अधिकतम तापमान जहां 29.7 डिग्री पर बना हुआ है। वहीं न्यूनतम पारा 15 पर पहुंच गया है। शीतलहर चलने के कारण मौसम में ठंडक घुली हुई है। लेकिन विगत सात दिनों के तापमान पर गौर किया जाए तो 12 नवम्बर को अधिकतम तापमान 30.5 डिग्री से गिरकर 27.5 पर पहुंच गया था। वहीं न्यूनतम तापमान भी 12.5 डिग्री पर आ गया था। ऐसे में अब मंदिरों में भगवान को गर्म रखने के जतन किए जाने लगे हैं।