पूरा देश जब जनजातीय गौरव दिवस मनाने की तैयारी कर रहा था तब जिले का जनजातीय विभाग में प्राचार्य पद को लेकर पकड़म-पाटी चल रही थी। सहायक आयुक्त जनजतीय विभाग और संभागीय उपायुक्त ने विभाग में प्रभार देने तथा नियम विरुद्ध अटैचमेंट का उद्योग चला रखा है। विभाग में संलग्नीकरणकरण उर्फ अटैचमेंट पद से पद पर करना वह भी आवश्यक होने पर प्रशासनिक व्यवस्था के लिये, किन्तु विभाग के भ्रष्टों ने चतुर्थ क्लास के कर्मचारी को विघालय का लिपिक वर्षों से बना रखा।
आश्चर्य तो यह कि इस चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को एक नहीं अपितु दो स्कूलों के लेखापाल का दायित्व तक दे रखा था। शिकायत होने पर एक स्कूल से प्रभार वापस ले लिया गया, एक थांदला कन्याशाला स्कूल में अब भी लिपिकीय कार्य कर रहा जबकि मूल पदस्थापना बीईओ कार्यालय में भृत्य पर है।
आलम यह है कि बीईओ कार्यालय में भृत्य के अभाव में उत्कृष्ट स्कूल के भृत्यों से कार्य चलाया जा रहा। ऐसा भी नहीं है कि कन्याशाला में लिपिक के पद रिक्त है। पदों की पूर्ति के बाद भी भृत्य को लिपिक पद का प्रभार देना जनजातीय विभाग की भ्रष्ट कार्यप्रणाली उजागर कर रहा।
अंचल की स्कूलों में शिक्षकों की कमी संकुलों में स्थायी प्राचार्य नहीं है फिर कैसे जिले में शिक्षा की गुणवत्ता व स्तर को उंचा उठाया जा सकता है। जनजातीय विभाग की आंतरिक खिचतान ने शेक्षणिक व्यवस्था के ढांचे बिगाड़ रखा है, क्षेत्र की परवलिया, काकनवानी, बालवासा, खवासा, बेडावा, उत्कृष्ट विद्यालय माडल स्कूल जैसी शालाएं प्रभारी प्राचार्यों व अतिथि शिक्षकों के भरोसे संचालित की जा रही है। जनजातीय विभाग के उपायुक्त इंदौर संभाग व सहायक आयुक्त के आदेशों ने स्कूलों को कुश्ती का अखाड़ा बना दिया है।
प्राचार्यो की अदला-बदली कर शिक्षा व्यवस्था का मजाक बनाया जा रहा है, खण्ड शिक्षा अधिकारी के सेवानिवृत होने पर वरिष्ठ प्राचार्य एसएन श्रीवास्तव को बीईओ का प्रभार दिया गया था लेकिन कुछ माह पूर्व एसएन श्रीवास्तव को हटाकर उनके स्थान पर उत्कृष्ट उमावि के प्राचार्य पीएन अहिरवार जिनके पास कन्या परिसर के प्राचार्य का भी प्रभार था उनको बीईओ के पद पर पदस्थ करने का आदेश उपायुक्त इंदौर ने जारी कर दिया।
बीईओ के पद से हटाये गये एसएन श्रीवास्तव को संतुष्ट करने के लिये कन्या उमावि तथा कन्या परिसर का प्रभार एसएन श्रीवास्तव को सौंपने के आदेश उपायुक्त ने जारी कर दिये। कन्या उमावि में पदस्थ प्रभारी प्राचार्य एस कुमार के खिलाफ छात्राओं ने एबीवीपी के माध्यम से कक्षाओं में अध्यापन कार्य नहीं करवाना, अभ्रद व्यवहार करना तथा स्कूल की अव्यवस्थाओं को लेकर प्रदर्शन भी किया था।
एस कुमार से कन्याउमावि का प्रभार लेकर माह अक्टूम्बर में एसएन श्रीवास्तव को दिया गया किन्तु एक माह 8 दिन पश्चात राजनैतिक दबाव के चलते जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त ने एक बार फिर कलेक्टर झाबुआ के माध्यम से दिनांक 16/11/2021 को आदेश पारित कर पु:न एस कुमार को संस्था का प्रभारी प्राचार्य नियुक्त कर दिया।
गौरतलब है कि एस कुमार के खिलाफ एकलव्य आवसीय विद्यालय अगराल में पदस्थी के दौरान आर्थिक अनियमिताओं की जांच की जाकर करीब एक करोड़ चैबीस लाख रूपयों की अनियमितता पाई जाने पर राशि की वसूूली तथा भविष्य में आहरण वितरण के अधिकार नहीं दिये जाने संबधी कारण बताओ सूूचना पत्र 12 अक्टूम्बर 2020 को किये जाने तथा वित्तीय अधिकार नहीं दिये जाने सबंधी स्पष्ट निर्देशों के बाद भी उन्हें पुन: प्रभारी प्राचार्य के पद पर पदस्थ कर शासन के नियमों की ही धज्जियां उड़ाई जा रही है।
जिस विभाग पर जिले की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने को जिम्मा हो वह विभाग अपने आंतरिक ढांचे को ही नहीं सुधार पा रहा है वह कैसे बच्चों का भविष्य उज्जवल बना सकता है। शिक्षकों-प्राचार्यों की अदला-बदलियों की रस्साकशी में छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है। विगत दो वर्षों में कोरोना ने शिक्षा व्यवस्था को पटरी से उतार दिया था।