जनप्रतिनिधि कर रहे जनता के हक की सुविधा की अनदेखी
नागदा जं., अग्निपथ। कोरोना महामारी के दौरान रेल प्रशासन ने यात्रियों को सुविधा देने के नाम पर खुब मोटी कमाई की, बुरे वक्त में नागरिकों से वसूली के बाद सामान्य स्थिति होने पर भी सुविधा के नाम पर महामारी से पूर्व की स्थिति को ही रेल प्रशासन बहाल नहीं कर पाया है। ऐसे में यात्रियों से प्रतिबंध हटने के बाद भी अत्याधिक यात्रा शुल्क वसूला जा रहा है।
रेल मंत्रालय की घोषणा के पांच दिन बाद भी एक्सप्रेस यात्री गाडिय़ों में यहां अनारक्षित टिकट जारी नहीं किए जा रहे हैं। रेल प्रशासन की मनमानी का आलम यह है कि यात्री गाड़ी संख्या 09802 कोटा-नागदा को कोटा रेल मंडल द्वारा अनारक्षित घोषित कर दिया गया है। वहीं रतलाम रेल मंडल के स्टेशनों से अब भी उक्त ट्रेन में यात्रा के आरक्षण करवाना आवश्यक है। ऐसे में रेल प्रशासन के इस दौहरे रवैये से यात्रियों में आक्रोश बढ़ रहा है।
न विपक्ष मुखर और ना ही सत्तापक्ष
यात्रियों से रेल प्रशासन द्वारा की जा रही इस बेतहाशा वसूली को लेकर न तो विपक्ष के नेता मुखर हो रहे हैं और न ही सत्तापक्ष के नेता इस ओर ध्यान दे रहे हैं। नेताओं की अनदेखी के चलते क्षेत्र के यात्रियों को काफी असुविधा हो रही है। महामारी के पूर्व दोपहर 3 बजे चलने वाली यात्री गाड़ी को रेल प्रशासन ने अभी तक प्रारंभ नहीं किया गया है। जबकि जरूरतमंद यात्रियों के लिए यह यात्री गाड़ी मात्र 30 रुपये इन्दौर तथा इन्दौर से नागदा ले आती थी। ऐसे में गरीबों की सुनने वाला कोई नहीं बचा है।
कभी 500 रुपये में पूरे महीने यात्रा होती थी अब 500 में मात्र एक दिन जाना हो पाता है
कोविड-19 के पूर्व जहां मासिक सीजन टिकिट (एमएसटी) के माध्यम से मात्र 350 से 500 रुपये में इंदौर से नागदा की यात्रा पूरे माह की जा सकती थी। लेकिन रेल प्रशासन द्वारा महामारी का हवाला देते हुए सीजन टिकिट को बंद कर दिया गया है।
जबकि पूर्व में एक्सप्रेस, लोकल यात्री गाडिय़ों आदि में एमएसटी से यात्रा की जा सकती थी। जिससे शहर एवं आसपास के कई नागरिकों का रोजगार तक चलता था, साथ ही कई विद्यार्थी उज्जैन, इन्दौर, रतलाम प्रतिदिन अपडाउन भी किया करते थे। यह सब सुविधा रेल प्रशासन द्वारा छीन ली गई है, जिससे क्षेत्र में बेरोजगारी भी बढी है।
सोशल मीडिया पर प्रचार जोरों से, हकीकत में कुछ भी नहीं
सोशल मीडिया पर रेल प्रशासन द्वारा कोविड-19 पूर्व की स्थिति बहाल किए जाने की जानकारी सत्तापक्ष से जुडे लोग खुब शेयर कर रहे हैं, लेकिन धरातल पर देखा जाए तो न तो यात्री गाडिय़ों को प्रारंभ किया जा रहा है और ना ही एक्सप्रेस, सुपर फास्ट यात्री गाडिय़ों अनारक्षित टिकिट दी जा रही है। ऐसे में क्षेत्र के नागरिकों को जो यात्रा कभी 100-200 में हुआ करती थी उसके लिए अब 2000 से 2500 रूपये खर्च करना पड़ रहे हैं। नागरिकों को हो रही असुविधा का सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के नेताओं को भलीभांति भान है, लेकिन न तो विपक्ष आंदोलन करता है और ना ही सत्तापक्ष अधिकारियों पर दबाव बना रहा है।
सबसे ज्यादा रतलाम मण्डल में हो रही परेशानी
रतलाम मण्डल के अंतर्गत आने वाली यात्री गाडियों में सबसे अधिक परेशानी देखने को मिल रही है। कोटा मण्डल द्वारा जहां मेला गाड़ी को अनारक्षित घोषित कर दिया, लेकिन रतलाम मण्डल अपने यात्रियों को यह सुविधा नहीं दे रहा है। ऐसे में नागदा शहर के आरक्षण काउन्ट पर मेला गाड़ी से यात्रा करने वाले यात्री काफी परेशान होते हैं तथा ऐन वक्त पर पहुंचने पर उन्हें कई बार तो टिकिट भी नहीं मिल पाते हैं।