नगरीय नेता नदारद रहे आंदोलन से

झाबुआ। किचन केबिनेट के कब्जे में फसी कांग्रेस में विपरीत समय में भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। स्वर्गीय कलावती भूरिया जब तक रही तब तक बहन के रौद्र रूप के भय से मीठा-मीठा गट, कड़वा-कड़वा थू वाले नेता न चाहते हुए भी बैठक हो या आंदोलन में अपनी उपस्थिति या चेहरा दिखाने आना ही पड़ता था। कांग्रेस के कद्दावर नेता कांतिलाल भूरिया ने एक समय में थांदला ही नहीं अपितू जिले और पूरे संसदीय क्षेत्र में नेताओं-कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी कर दी थी।

भूरिया जब-जब पावर में रहे प्रदेश या केंद्र में मंत्री रहे, अवसरबाजों ने जमकर लाभ उठाया। भूरिया तत्कालीन समय के क्षणिक सुख और लाभ में पार्टी हित भूल से गये थे, जिसके चलते न तो जिले में नए कार्यकर्ता बन पाए और न ही जिला संगठन की लंबे समय से कोई नया नेतृत्व मिल पाया।

झाबुआ में प्रकाश राका, शांतिलाल पडियार, मनोहर भंडारी और वर्तमान जिलाध्यक्ष निर्मल मेहता जैसे अवसरवादी नेताओं के इर्द-गिर्द ही कांग्रेस की राजनीति चलती रही। कांग्रेस के इन्हीं अवसरवादियों का परिणाम वर्ष 2003 के बाद से देखने को मिले। ये तो अच्छा रहा कि स्वर्गीय कलावती भूरिया जिला पंचायत अध्यक्ष रहते कार्यकर्ताओं का हौंसला बरकरार रखा, अन्यथा जिस जिले को केंद्र व प्रदेश की राजनीति धुरी कहा जाता है में कांग्रेस का नामोनिशान मिट जाता।

कलावती के निधन के बाद अब कांग्रेस की स्थिति पुन: कार्यकर्ताओं, ग्रामीण नेताओं के लिए मुसीबत खड़ी करने वाली होने लगी। इसका ताजा उदाहरण गत दिनों जिले के थांदला में कांग्रेस आईटी सेल अध्यक्ष के साथ हुए मामले के रूप में सामने आया। आईटी सेल अध्यक्ष रुसमाल की गिरफ्तारी के बाद पूरे कांग्रेस हल्के में खबर पहुंच चुकी थी, लेकिन आंदोलन में वरिष्ठ नेताओं ने कन्नी काट ली।

सिर्फ विधायक विरसिंह भूरिया, प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया के साथ नगर परिषद उपाध्यक्ष मनीष बघेल, पार्षद आनंद चौहान शामिल हुए तो वार्ड 6 पार्षद पति राजेश जैन उपस्थिति होने की भूमिका बनाते हुए भीड़ से दूरी बनाई रखी।

नगर परिषद के अन्य कांग्रेसी सहित मीडिया प्रभारी और दिग्गज नेता के इर्द-गिर्द नजर आने वाले नगर के वरिष्ठ नेता नगीन शाहजी, जितेंद्र घोड़ावत, गुरुप्रसाद अरोरा, यतीश छिपानी लक्षमण राठौड़, पूर्व ब्लाक अध्यक्ष चेन सिंह डामर, जिला किसान कांग्रेस अध्यक्ष नंदलाल मेण सहित कई नेता विपरीत समय में सहयोग हेतु आंदोलन से नदारद रहे, जो कांग्रेस के भविष्य के लिए उचित नहीं माना जा रहा है।

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