तकनीकी अमला भी निष्क्रिय
उज्जैन, अग्निपथ। स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में उज्जैन शहर को देश के टॉप 10 शहरों की सूची में जगह मिली, 3 लाख से 10 लाख तक की आबादी वाले शहरों में उज्जैन शहर ने 5 वां स्थान हांसिल किया और कचरा मुक्त शहरों की श्रेणी में थ्री स्टार रेटिंग पाई। इस सफलता के तत्काल बाद ही नगरनिगम के पूरे अमले के लिए सर्वेक्षण 2022 की तैयारी शुरू करना जरूरी हो गया है। नए साल का सर्वेक्षण शुरू होने में लगभग 1 महीने का वक्त शेष रह गया है जबकि अब तक किसी तरह के काम ही शुरू नहीं हो सके है।
नगरनिगम की आर्थिक सेहत फिलहाल ठीक नहीं है। यहीं वजह है कि निगम के ठेकेदारों ने भी स्वच्छता अभियान के कामों से कन्नी काट ली है। अमूमन जनवरी महीने के पहले सप्ताह में ही स्वच्छता सर्वेक्षण की शुरूआत हो जाती है। नवंबर महीना खत्म होने को है, केवल दिसंबर का पूरा एक महीना शेष रह जाएगा और नया साल शुरू होते ही नया स्वच्छता सर्वेक्षण भी शुरू हो जाएगा। उज्जैन के सामने अब ज्यादा बड़ी चुनौती है, 2021 वाली अपनी रैंक को बरकरार रखना है और इससे आगे भी जाने की कोशिश करना है। फिलहाल तो नगर निगम में ऐसा कुछ होता नहीं दिखाई देता।
इन 5 कामों पर नहीं फोकस
स्वच्छता सर्वेक्षण में सफाई अमले का जितना अहम योगदान है, उतना ही योगदान तकनीकी अमले का रहता है। इंजीनियर्स की इसमें अहम भूमिका रहती है। इस साल अब तक इंजीनियर्स अलटे-पलटे ही हो रहे है, इन्हें अब तक काम में नहीं जुटाया जा सका है।
- सीवरेज लाईन की वजह से पूरे शहर की सडक़े गड्ढो में बदल गई है, बारिश के बाद का मेंटेनेंस भी नहीं हो सका है। सिटीजन फीडबैक में गड्ढ़ों वाली सडक़ नगर निगम की छबि खराब करने की स्थिति में रहेगी।
- पिछले साल आवारा मवेशियों पर नियंत्रण को लेकर अच्छा काम हुआ था। पिछले 6 महीनों से यह मुहीम बंद पड़ी है। इन 6 महीनों की अवधि में नगर निगम ने एक भी मवेशी को शहर से बाहर नहीं भेजा है। पिछले साल मवेशी मालिकों से ही जुर्माने के रूप में 10 लाख रूपए वसूल किए गए थे।
- पीएचई की लाइनों में कई जगह लीकेज की वजह से नलों से गंदा पानी सप्लाय हो रहा है। सिटीजन फीडबैक में लीकेज भी निगम के लिए नुकसानदायी साबित हो सकते है।
- सुअरों पर नियंत्रण की मुहीम भी लगभग 6 महीनों से बंद पड़ी है। नए शहर की कई कालोनियों के रहवासी सुअरों की समस्या से परेशान है। जबकि पिछले साल सुअर नियंत्रण पर ऐतिहासिक काम हुआ था।
- स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान कलेक्टर के प्रयास से सीएसआर के तहत उज्जैन को स्वीपिंग मशीन 1 महीने के लिए मिली थी। उज्जैन की रैंक बढ़ाने में इस मशीन का भी योगदान रहा। ऐसा कोई नया प्रयोग अब तक नहीं हो सका है।