पंचायत चुनाव : 2014 के आधार पर 9 हजार 112 वार्डों में मतदाता सूची बनाने का काम शुरू

उज्जैन जिले में जनपद सदस्यों,जिला पंचायत, संरपंचों और ग्राम पंचायतों का आरक्षण भी हुआ खत्म

उज्जैन, अग्निपथ। राज्य सरकार के अध्यादेश के चलते जिले में जनपद सदस्यों,जिला पंचायत, संरपंचों और ग्राम पंचायतों का आरक्षण भी खत्म हो गया है। अब पंचायत चुनाव की तैयारी 2014-15 के हिसाब से की जा रही है। आरक्षण 2014 में हुआ था। उसी के मुताबिक जिला निवार्चन कार्यालय मतदाता सूची बनाने में जुट गया है।

उप जिला निर्वाचन अधिकारी वीएस दांगी ने बताया कि 2014-15 को आधार मानते हुए मतदाता सूची बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। इसके तहत एसडीएम और तहसीलदार स्तर पर वार्डो में मतदाताओं को शिफ्ट किया जाएगा।

राज्य सरकार के अध्यादेश में साफ लिखा है कि जिन पंचायतों,जिला पंचायतों, जनपद पंचायतों और ग्राम पंचायतों में आरक्षण और परिसीमन एक साल के बाद भी लागू नहीं हुआ है। अब वह निरस्त हो गया है।

इसलिए उज्जैन में इस आदेश का सीधा असर पड़ेगा। उज्जैन में छह जनपद पंचायतों, 21 जिला पंचायतों के सदस्यों, 609 सरपंचों के पदों का आरक्षण और परिसीमन हो गया था। अब वह रद्द हो गया है।

सबसे ज्यादा खाचरौद में बनी थी 24 नई पंचायतें

नए परिसीमन के बाद खाचरौद में सबसे ज्यादा 24 नई पंचायतें बनी थी। परन्तु अब फिर से 1922 वार्ड हो गए हैं। वहीं सबसे कम 3 नई पंचायतें बडऩगर में बनी थी। यहां अब 1710 वार्ड में पुराने आधार पर चुनाव होंगे।

महिदपुर में 1725, तराना में 1528, घट्टिया में 1045, उज्जैन में 1182 वार्डो में चुनाव होंगे। कुल 9112 वार्डों में चुनाव कराए जाएंगे। नए परिसीमन में 56 नई पंचायतें बनी थी,वे राज्य सरकार के आदेश के मुताबिक विलोपित हो गई हैं।

सबसे ज्यादा 111 पंचायतें में टूटफूट हुई थी। वे सभी 2014-15 के तहत विलोपित हो गई हैं।

अब हर वार्ड में बड़े हुए मतदाता करेंगे मतदान

2014 की मतदाता सूची के मुताबिक जिले के 9112 वार्डो में कम मतदाता थे, परन्तु 2021 के मुताबिक आठ लाख से ज्यादा मतदाता हो गए हैं। ये सभी मतदाता अब मतदान करेंगे। अंतर इतना रहेगा कि इन्हें 2014 के वार्डो में मतदान करना होगा।

निर्वाचन कार्यालय ने नए परिसीमन के हिसाब से 1000-1200 मतदाताओं का एक बूथ बनाना था। अब वार्ड में मतदाता 100 से 400 के करीब बढऩे की संभावना है। परन्तु फायनल फिगर पुराने वार्डो में मतदाताओं को एडजस्ट करने के बाद सामने आएगा। बूथों की संख्या भी इनके बाद ही साफ हो पाएगी।

अध्यक्ष का मामला अभी भी अधर में

जिला पंचायत के अध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा मिला हुआ है। राज्य सरकार के अध्यादेश में अभी भी जिला पंचायत के आरक्षण को लेकर कोर्ई दिशा-निर्देश जारी नहीं हुए हैं। इस वजह से आगामी दिनों में जब तक सरकार आदेश जारी नहीं करती है तब तक जिला पंचायत के अध्यक्ष को लेकर असमंजस बना ही रहेगा।

वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष का पद एससी पुरुष का है और जिला पंचायत अध्यक्ष करण कुमारिया हैं। ये महेश परमार के पद छोडऩे के बाद जिला पंचायत के अध्यक्ष बने हैं। परमार विधायक बन गए थे, इसलिए यह पद छोड़ दिया था।

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