उज्जैन। भैरव अष्टमी पर शनिवार रात 12 बजे कालभैरव मंदिर में जन्म आरती करने के पश्चात रविवार की शाम भगवान कालभैरव की सवारी निकाली गई । सवारी का जोरदार स्वागत केंद्रीय जेल भैरवगढ़ पर हुआ। यहां तक कि जेल अधीक्षिका और उनकी पुत्री ने जोरदार डांस कर सवारी का स्वागत किया। सवारी रवाना होने से पहले भगवान कालभैरव को सिंधिया राजघराने से भेजी हुई राजसी पगड़ी भी धारण कराई गई।
भैरव अष्टमी पर शनिवार-रविवार रात 12 बजे कालभैरव मंदिर में जन्म आरती की गई। रविवार शाम 4 बजे काल भैरव मंदिर से सेनापति की सवारी निकाली गई। सवारी निकालने से पूर्व एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल और अपर कलेक्टर अवि प्रसाद द्वारा मंदिर के सभामंडप में पूजन अर्चन किया गया।
पश्चात भगवान कालभैरव के विग्रह को पालकी में विराजित कर नगर भ्रमण के लिए रवाना किया गया। सवारी जब केंद्रीय जेल भेरूगढ़ पर पहुंची तो जेल अधीक्षिका उषा राज द्वारा पालकी की आरती उतारी गई। उनके द्वारा सवारी के दर्शन कर इतनी अभिभूत हो गईं कि खुशी को जाहिर करते हुए डांस भी किया। उनकी पुत्री भी इसमें सहभागी बनीं।
वहीं भैरवगढ़ जेल के अंदर से ही कैदियों ने भगवान के दर्शन कर उन पर जोरदार पुष्प वर्षा की। इसके पश्चात सवारी भैरवगढ़ क्षेत्र का भ्रमण करते हुए वापस मंदिर पहुंची।
सिंधिया राजवंश की पगड़ी कराई धारण
प्रतिवर्ष कालभैरव मंदिर में बाबा की सवारी निकलने से पहले सिंधिया राजवंश की पगड़ी धारण कराई जाती है। लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते दो बार सवारी नहीं निकाली जा सकी। शाही पगड़ी पूजा अर्चना के साथ बाबा को पहनाई गई। उसके बाद पालकी में सवार होकर बाबा भ्रमण पर निकले।
गौरतलब है कि सिंधिया राजघराने से वर्षों पुरानी परंपरा को वर्ष में 2 बार पूरा किया जाता है। श्रावण-भादौ मास के दौरान भी राजघराने से बाबा महाकाल के लिए पगड़ी उज्जैन पहुंचती है।
हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु
कोरोना संक्रमण के चलते विगत दो साल से भगवान की सवारी बिना श्रद्धालुओं के निकाली जा रही थी। लेकिन शासन द्वारा कोरोना में दी गई छूट का लाभ आज सेनापति कालभैरव की सवारी में देखने को मिला।
दो वर्ष बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान कालभैरव की सवारी के दर्शन करने पहुंचे थे। दोनों ओर की मुख्य सडक़ों पर श्रद्धालु पलक पावड़े बिछाकर सवारी आने का इंतजार करते रहे। सवारी जैसे ही उनके नजदीक आई, एक नजर देखने के लिए भीड़ उतावली हो गई।