हम चुप रहेंगे (29 नवंबर 2021)

चिट्ठी …

शीर्षक पढक़र पाठक यह नहीं सोचे। हम पंकज उदास की गजल चि_ी आई है… की बात कर रहे है। हम तो उस चिट्ठी (पत्र) की बात कर रहे है। जिस पर अपनी घमंडी मैडम के हस्ताक्षर है। जिसमें लिखा है कि … कालिदास समारोह के अवसर पर। बस यही इस चिट्ठी की गलती है। क्योंकि समारोह खत्म हुए हफ्ता बीत चुका है। इसके बाद भी उन्होंने अपने हस्ताक्षर से ऐसी चिट्ठी जारी कर दी। मेले के आयोजन को लेकर। जिसकी चर्चा उन विभागों में है। जिनको चिट्ठी मिली है। सभी अपनी घमंडी मैडम की इस कार्यशैली पर सवाल उठा रहे है, लेकिन चुपचाप। तो हम भी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नहीं आऊंगा …

अपने लेटरबाज जी भले ही शक्ल से सीधे नजर आते है। उनको देखकर कोई नहीं कह सकता। वह ऐसा भी बोल सकते है। लेकिन जब बात मान-सम्मान पर आ जाये तो हर किसी को कड़वे बोल बोलने पड़ते है। जैसे अपने लेटरबाज जी ने बोले। अपने वजनदार जी को। वह भी उन्ही के मुंह पर।

पिस्टल कांड का मामला है। जिसमें वजनदार जी के प्रतिनिधि पर प्रकरण दर्ज हुआ है। घटना के बाद लेटरबाज जी आक्रोश में थे। इसलिए साफ-साफ बोल दिया। मुझे पहले ही आभास था। किसी दिन ऐसी घटना होगी। अब आज के बाद आपके किसी कार्यक्रम में नहीं आऊंगा। जिसे सुनकर अपने वजनदार जी चुप रह गये। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। जिसमें हमको भी अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

तंत्र- जिहाद …

अभी तक तो हमारे पाठकों ने लव- जिहाद की ही चर्चा सुनी थी। मगर अब लव- जिहाद करने वालो ने एक नई शाखा खोली है। जिसका नाम तंत्र- मंत्र- जिहाद बताया जा रहा है। इसकी खबर अपने भगवाधारियों- फुलपेंटधारियों और कमलप्रेमियों को भी नहीं है। सोशल मीडिया पर तंत्र- जिहाद के नाम पर दुकाने खुल गई है। जिसके सहारे बहुसंख्यक वर्ग की संभ्रात महिलाओं को फसाया जा रहा है। दैहिक- शोषण भी हो रहा है।

तंत्र दुकान को संचालित करने वाले सामाजिक बुराई (सट्टे) का नम्बर बताने की विधि भी सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे है। देखना यह है कि लव- जिहाद के नाम पर झंडा उठाने वाले भगवाधारी अब तंत्र- जिहाद को लेकर क्या कदम उठाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

कमीशन …

चिराग तले हमेशा अंधेरा होता है। यह कहावत कोठी पर खूब सुनाई दे रही है। इशारा अपने उम्मीद जी की तरफ है। ऐसा हम नहीं, बल्कि उस ग्राम के निवासी बोल रहे है। जो कि इन दिनों भू-अर्जन होने के बाद भी भुगतान के लिए भटक रहे है। पिछले सप्ताह ग्रामवासियों में चर्चा थी। कमीशन दीजिए- भुगतान लीजिए। कुछ को भुगतान की जल्दी थी। उन्होंने कमीशन दिया भी है। नहीं देने वाले ग्रामवासी आज भी परेशान है। ऐसा ग्रामवाले ही बोल रहे है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

जरूरी है …

मरहूम शायर डॉ. राहत इंदौरी ने खूब कहा है। तेरी जुबान कतरना बहुत जरूरी है/ तुझे मरज है कि तू बार-बार बोलता है। यह अशआर इन दिनों शिवाजी भवन में खूब सुनाई दे रहा है। जिसमें इशारा अपने पपेट जी की तरफ है। किसी को कुछ भी- बार-बार बोलने वाले अपने पपेट जी की कुछ बानगी पढिय़े। 1. तुम डीजल चोर हो… डीजल चोर। तुम तो छक्के हो। किस वार्ड में कितने कुत्ते है… गिनकर बताओं- वरना फटकार खाओं। मुफ्त मेंंंंंं कवि सम्मेलन करवाओं। यह सब बाते निगम के गलियारों में सुनाई दे रही है। बोलने वाले अपने पपेट जी है। मगर हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

दागी …

कमलप्रेमियों की युवा इकाई में यह चर्चा है। जल्दी ही एक ऐसे युवा दागी नेता को कमान सौंपी जाने वाली है। जिन पर अपने माता-पिता के साथ मारपीट करने सहित, कुत्ता चोरी करने का भी आरोप है। कुछ मामले 420 के दर्ज है। ऐसा युवा कमलप्रेमी बोल रहे है। लेकिन अपने विकास पुरूष की इस युवा पर कृपा है। इसीलिए उनका नाम भेजा गया है। ताकि युवा इकाई के मुखिया बन सके। विकास पुरूष के इस कदम से युवा कमलप्रेमियों में घोर नाराजगी है। मगर कुछ कर नहीं सकते है। इसलिए चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

धरना …

अंदरखाने की खबर है। जल्दी ही शहर की सफाई व्यवस्था प्रभावित होने वाली है। कारण, अपने पपेट जी की कार्यशैली है। जिसके चलते सफाई संगठन के मुखिया भयंकर नाराज है। नाराजगी की वजह, मुखिया के कार्यक्रम में जाकर, पपेट जी ने बेईज्जती कर दी। उसको लेकर ही यह नाराजगी इस कदर पनप गई कि आज के सम्मान समारोह से भी मुखिया ने दूरी बनाकर रखी। अब यह चर्चा शिवाजी भवन में आम है कि संगठन द्वारा 1-2 दिन में धरना दिया जा सकता है। अपने पपेट जी की कार्यशैली को लेकर। जिसका सभी को इंतजार है। मगर हमको तो चुप ही रहना है।

डिग्री …

किसी सयाने महापुरूष ने कहा है। डिग्री इस बात का प्रतीक कतई नहीं है कि आपको ज्ञान भी है। इतनी सी बात अपने पपेट जी को समझ नहीं आ रही है। तभी तो उन्होंने अपने उम्मीद जी की डिग्री पर ही सवाल उठा दिये है। ऐसी चर्चा शिवाजी भवन के गलियारों में दबी जुबान से सुनाई दे रही है। इसके साथ यह भी बोला जा रहा है कि … पपेट जी खुद को ज्ञानी मानते है, मगर हरकते उनकी पूरी अज्ञानी वाली है। अब इसमें हम कर क्या सकते है। बस … अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

खुशी …

अब एक खबर अपने पंजाप्रेमियों की खुशी से जुड़ी। इशारा अपनी बुआ जी की तरफ है। जिनको उम्मीद थी कि राष्ट्रीय स्तर पर पद मिल जायेंगा, क्योंकि प्रदेश में तो पहले ही किरकिरी हो गई थी। लेकिन वहां भी नम्बर नहीं लगा। नतीजा … शहर के पंजाप्रेमी खुश और चुप है। तो हम भी चुप हो जाते है।

– प्रशांत अंजाना

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