भारी पड़ा यूनियन को भाव नहीं देना
उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम के स्वच्छता कर्मचारियों के सम्मान कार्यक्रम में रविवार दोपहर पर्याप्त संख्या में कर्मचारी ही नहीं पहुंच पाए। 3 हजार स्वच्छताकर्मियों के लिए भोज का आयोजन था, पहुंचे बमुश्किल 500। शेष 500 नगर निगम के दूसरे विभागों के कर्मचारियों ने कार्यक्रम की लाज बचाई।
नगर निगम का कार्यक्रम फ्लॉप हो जाने के पीछे दो मुख्य वजह सामने आई है। पहली वजह यह कि सफाई कामगारों की सबसे बड़ी यूनियन के पदाधिकारियों को तवज्जों नहीं मिली, दूसरी वजह यह रही कि भोजन का आमंत्रण भी विधिवत तौर पर कर्मचारियों तक नहीं पहुंच सका।
नगरनिगम आयुक्त अंशुल गुप्ता ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अपर आयुक्त मनोज पाठक को जिम्मेदारी सौंपी थी। खुद आयुक्त कार्यक्रम की तैयारियों में कहीं शामिल नहीं रहे। यहां तक की आयोजन से दो दिन पहले जब कार्यक्रम के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारियां तय होना थी, तब भी बैठक से आयुक्त नदारद रहे।
यह बैठक भी अपर आयुक्त मनोज पाठक ने ही ली थी। खुद आयुक्त की व्यवस्थाओं से दूरी नगर निगम की किरकिरी की वजह बना। आयुक्त सीधे तौर पर आयोजन की तैयारी से नहीं जुड़े थे लिहाजा निचले स्तर पर जमकर लापरवाही हुई। वायरलेस सेट पर ही भोजन के आमंत्रण पहुंचाए गए। जिन स्वच्छता कर्मचारियों के लिए भोज का आयोजन था, उन्हें ही इस कार्यक्रम की सूचना नहीं थी।
ज्यादातर कर्मचारी एक ही यूनियन से
उज्जैन नगर निगम में करीब 2 हजार स्थाई और लगभग 1 हजार दैनिक वेतनभोगी सफाई कर्मचारी है। इनमें से अधिकांश सफाई कर्मचारी संघ से जुड़े है। भारतीय मजदूर संघ की इस संस्था की नगर निगम में दो अन्य यूनियन स्वायत्तशासी कर्मचारी संघ और सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ है। इन्हीं तीन प्रमुख संगठनों से जुड़े लोगों ने पूरे कार्यक्रम से किनारा कर रखा था।
यूनियन संरक्षक ने निकाली भड़ास
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और सफाई कर्मचारी संघ के संरक्षक रामचंद्र कोरट ने बताया कि रविवार को आयोजन होना था, इससे कुछ घंटे पहले शनिवार की रात मेरे घर आमंत्रण कार्ड भिजवाया गया।
कोरट ने कहा कि कार्यक्रम को सफल बनाना था तो यूनियन सदस्यों की मदद ली जा सकती थी, हम आगे बढक़र सहयोग करते। उन्होंने कहा कि सफाई कामगार भोजन का नहीं, सम्मान का भूखा है। आप सम्मान से बुलाओगे, विधिवत आमंत्रण पहुंचाआगे तभी तो लोग आएंगे। कोरट ने कहा कि पूर्व आयुक्त प्रतिभा पाल ने भी उज्जैन में इसी तरह का आयोजन किया था, उन्होंने सम्मान से बुलाया तो सभी लोग पहुंचे।
ताजा उदाहरण आप इंदौर और देवास में ही देख लिजिए। देवास में आयुक्त विशालसिंह चौहान सफाईकामगारों की बस्ती में पहुंचे, वहां आम लोगों के साथ मिलकर खुशियां बांटी। इंदौर में आयुक्त और कलेक्टर राजमोहल्ला में सफाई कामगारों के घर-घर जाकर पीले चावल देकर आए। पटाखे जलाएं।
हमारे यहां इसके उलट हुआ। यहां तो जिनके सम्मान के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया, उन्हें ही कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया। कोरट ने कहा कि मैंने कार्यक्रम के वीडियों फुटेज देखे है। उसमें वास्तविक सफाई कामगार तो 10-20 ही दिखे, बाकी तो ठेकेदार के लोग और नगर निगम के दूसरे विभागों के कर्मचारी मौजूद थे।