सुसनेर, अग्निपथ। प्रदेश के मुख्यमंत्री शासकीय जमीनों को अतिक्रमण मुक्त करवा कर गरीबों को दिए जाने के कितने ही दावे करे किन्तु स्थानीय प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी सीएम की बात को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। मामला ग्राम आमला और सुसनेर की सीमा रेखा मानी जाने वाली करीब 2 बीघा जमीन का है। जिसे भू माफियाओं ने बेच दिया है।
नवंबर के पहले सप्ताह में शिकायत मिलने के बाद प्रशासन ने चार सदस्यीय जांच दल का गठन किया किन्तु एक माह से जांच अधर में ही लटकी है। कुल मिलाकर प्रशासन पर शासकीय जमीन बेचने वाले लोग भारी पड़ रहे हैं। ग्राम आमला और नगरीय क्षेत्र सुसनेर के बीच कांकड (सीमा रेखा) की सर्वे क्रमांक 137/1 की शासकीय भूमि निजी लाभ के लिए कुछ भू माफियाओं ने बेच दी है। 9 नवंबर को इसकी लिखित शिकायत अनुविभागीय अधिकारी राजस्व तथा तहसीलदार सुसनेर को की गई थी।
जिस पर प्रशासन के द्वारा 3 पटवारी और 1 राजस्व निरीक्षक का दल बनाकर दल को 15 दिन में जांच प्रतिवेदन सौपने के निर्देश दिए गए थे। किन्तु एक माह बाद भी जांच दल ने अपना प्रतिवेदन नहीं सौंपा। नगरीय क्षेत्र की राष्ट्रीय राजमार्ग से लगी उक्त सर्वे क्रमांक 137/1 की शासकीय जमीन इन्दौर कोटा हाईवे पर है। जिसकी कीमत लाखों में है। इसके अतिरिक्त नगरीय क्षेत्र में कई बेशकीमती शासकीय जमीनें भी निजी कब्जे में है। नगर में जितनी भी कॉलोनियां काटी गई है। उन सभी में भी शासकीय जमीनें आ रही है। जिन्हे बेच दिया गया है।
इनका कहना
ग्राम आमला और सुसनेर की काकड भूमि सर्वे क्रमांक137/1 की शासकीय जमीन को बेचे जाने सम्बन्धी शिकायत मिली थी। जिसके बाद चार सदस्यीय जांच दल का गठन कर 15 दिन में प्रतिवेदन मांगा गया था। किन्तु अभी तक प्रतिवेदन नहीं मिला है। जांच दल के प्रतिवेदन के बाद ही आगे कारवाई की जाएगी। अगर शासकीय जमीन बिकी है तो बेचने वालों के विरूद्ध नियमानुसार कारवाई की जाएगी। -देवेन्द्र दानगढ, नायब तहसीलदार सुसनेर