थांदला, अग्निपथ। राजस्व विभाग ने गत माह राजस्व दस्तावेजों में त्रुटियों को सुधारने के लिये पखवाड़े का आयोजन किया था जिसके अंर्तगत राजस्व रिकार्ड में किसी भी प्रकार की त्रुटियों और गड़बडिय़ों को सुधारा जाना था। वह आम जनता की हो या शासन के रिकार्ड की दुरस्ती हो सभी में सुधार किया जाकर दुरस्त किया जाना था। किन्तु राजस्व विभाग में ही इतनी गड़बडिय़ां हैं कि विभाग ने इस पखवाड़ा कार्यक्रम को भी औपचारिक रूप से खत्म कर दिया। यहां तक कि राजस्व विभाग नजूल भूमियों की त्रुटियों का ही सुधार नहीं कर पाया।
किसी भी विभाग में घोटालों और अनियमितताओं को तब तक अंजाम नहीं दिया जा सकता जब तक उसमें विभागीयकर्मी शामिल नहीं हो। ऐसा ही राजस्व विभाग में भी बदस्तूर जारी है। यहां तक कि प्रशासन के संज्ञान में आने के बाद भी राजस्व विभाग ने अपने रिकार्ड को दुरस्त करने की जहमत नहीं उठाई।
इसका प्रत्यक्ष उदाहरण नगर के बायपास मार्ग पर सर्वे नं. 336 का है जिसके राजस्व रिकार्ड अनुसार उस सर्वे नम्बर में वर्ष 1959 से एक नाला बह रहा था जो कि आज भी बह रहा है लेकिन वर्ष 1978 में यह नाला विलुप्त हो जाता है और वर्ष 2019 में इस नाले के स्थान पर एक रास्ता रिकार्ड में दर्ज हो जाता है जो कभी था ही नहीं और वर्तमान में भी रास्ता दिखाई नहीं देता है।
इसके संबध में तहसीलदार को शासकीय रिकार्ड में हेराफेरी की लिखित शिकायत दर्ज करवाई गई लेकिन तहसीलदार ने उस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है। शिकायतकर्ता ने कई बार मौखिक रूप से भी तहसीलदार को उक्त सर्वे नं. पर अतिक्रमण व हेराफेरी की जांच किये जाने की मांग की लेकिन तहसीलदार भूमाफियों के दबाव के चलते राजस्व निरीक्षक व पटवारी को पत्र जारी कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं।
विगत छह माह से उक्त सर्वे नम्बर पर अतिक्रमण व हेराफेरी की शिकायतें राजस्व विभाग में लंबित है लेकिन आज तक उसकी जांच नहीं हुई और ना ही कोई कार्यवाही की गई है। जब राजस्व विभाग अपनी भूमियों की सुरक्षा व सुधार नहीं कर सकता तब आम जनता के मामलों को दुरस्त करने की उम्मीद की जाना बेमानी प्रतीत होता है।
तहसीलदार एसएस चौहान का कहना है कि राजस्व निरीक्षक व पटवारी से जांच कर रिपोर्ट तलब की है। 20 दिवस पश्चात भी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है, स्मरण पत्र जारी कर रहे हैं। गौरतलब है कि बायपास मार्ग के सर्वे नम्बर 336 के समीप ही कई रसूखदारों के अवैध निर्माण कार्य चल रहे हैं जिन्हें प्रशासन द्वारा कई बार रोका गया लेकिन निर्माण कार्य फिर प्रारंभ हो जाता है।
जिससे समझा जा सकता है कि राजस्व विभाग किसी भी प्रकार की कार्यवाही करने में क्यों अक्षम है। यदि प्रशासन सर्वे नम्बर 336 की भूमि का निष्पक्ष सींमाकन कर उचित कार्यवाही करता है तो रसूखदारों की करोड़ों की भूमियां कोडिय़ों की हो जायेगी शायद राजस्व विभाग इसलिये ही अपनी भूमि के अतिक्रमण पर मौन साधे बैठा है।
इनका कहना
उक्त सर्वे नम्बर में गड़बड़ी व अतिक्रमण शिकायत प्राप्त हुई है जांच के बाद कार्यवाही की जावेगी। -एसएस चौहान तहसीलदार