भोपाल में मुख्यमंत्री को बताएंगे कान्ह डायवर्शन की वास्तविकता
उज्जैन, अग्निपथ। शिप्रा शुद्धिकरण की मांग को लेकर लगातार 5 दिन तक दत्त अखाड़ा घाट पर धरना देने वाले उज्जैन के साधु-संतों ने राज्यशासन के प्रतिनिधियों के आग्रह पर भले ही धरना स्थगित कर दिया लेकिन शिप्रा शुद्धिकरण के लिए संतों के प्रयास अब भी निरंतर जारी है।
गुरुवार को षट्दर्शन संत मंडल, उज्जैन के संतों का एक प्रतिनिधि मंडल राघोपिपल्या में उस स्थान का निरीक्षण करने पहुंचा जहां से कान्ह नदी को पाइप लाइन के माध्यम से डायवर्ट किया गया है। संतो ने त्रिवेणी के टूटे हुए कच्चे मिट्टी के बांध को भी देखा, इसके अलावा कालियादेह महल क्षेत्र में उस स्थान का भी निरीक्षण किया जहां से कान्ह नदी का गंदा पानी वापस शिप्रा नदी में मिलता है।
पाईप लाइन से केवल 25 प्रतिशत गंदे पानी की निकासी
महंत डा. रामेश्वरदास ने बताया कि कान्ह डायवर्शन योजना अपनी पूरी क्षमता से चल ही नहीं रही है। इंदौर की ओर से आने वाले गंदे पानी की मात्रा अधिक है जबकि पाईप लाइन में इसका केवल 25 प्रतिशत हिस्सा ही प्रवेश कर पा रहा है। दूषित पानी की निकासी तभी संभव है जब त्रिवेणी के उपरी क्षेत्र में पक्का बांध बने और ओपन नहर के माध्यम से पानी को डायवर्ट किया जाए।
उन्होंने बताया कि कान्ह डायवर्शन योजना की जमींनी हकीगत देखने के बाद अब जब भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से संतो की मुलाकात होगी तब उन्हें भी वास्तविक स्थिति से अवगत कराया जाएगा।
ये संत थे शामिल
निरीक्षण के दौरान षटदर्शन संत मंडल के वरिष्ठ सदस्य महंत डा. रामेश्वरदास जगदीश मंदिर गऊघाट, महंत भगवानदास हनुमत आश्रम गदा पुलिया, महानिर्वाणी अखाड़ा महाकालेश्वर मंदिर के गादीपति महंत विनीतगिरी, महंत राघवेंद्र दास हनुमत वाटिका अंकपात और महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानदास, दादूराम आश्रम इस प्रतिनिधि मंडल में शामिल थे।