नेशनल परमिट के नाम सेे अवैध तरीके से चल रही बसों द्वारा किया जा रहा यात्रियों का शोषण

परिवहन विभाग एवं प्रशासन की अनदेखी, नहीं हो रही कोई कार्यवाही

झाबुआ, अग्निपथ। जिले में यात्रियों को एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश तक बस संचालकों द्वारा नेशनल टूरिस्ट परमिट के नाम पर, शासन-प्रशासन व यात्रियों को छला जा रहा है। मध्यप्रदेश के पश्चिमी छोर पर बसे झाबुआ जिला और अलीराजपुर जिला जो कि सबसे गरीब जिलों की सूची में संभवत: काबीज है और काम की तलाश में जिले की जनता अन्य प्रदेशों में पलायन करती है।

झाबुआ,अलीराजपुर, बड़वानी आदि अन्य जिलों से होकर नेशनल टूरिस्ट परमिट के नाम पर यह बसें इन विभिन्न जिलों के विभिन्न गांवों से ग्रामीणजनों को विशेष रुप से गुजरात के मोरबी, राजकोट, गांधीधाम आदि अनेक स्थानों पर यात्री परिवहन कर संचालित होती हैं। विशेष रुप से झाबुआ जिला और अलीराजपुर जिले की आदिवासी ग्रामीण जन काम की तलाश में अन्य राज्यों में जाते हैं । यह स्लीपर कोच बसे शहर से और ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न गांवों से यात्रियों को झाबुआ से गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान राज्य के अनेक स्थानों पर ले जाते हैं।

यदि इन स्लीपर कोच बस या टूरिस्ट परमिट ट्रैवल्स की बसों की विधिवत चैकिंग की जाए तो इनके पास टूरिस्ट परमिट होगा, जिसमें संभवत यह दर्शाया होता है कि यह बस यात्रियों को एक टूर के लिए या घुमाने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा रही है। जबकि यह बसें यात्री वाहन के रूप मे संचालित हो रही हैं।

जानकारी अनुसार नेशनल टूरिस्ट परमिट में संभवत यात्रा कर रहे सभी यात्रियों का आधार कार्ड के नाम अनुसार जानकारी दर्ज की जाती है जबकि यदि चैकिंग की जाए तो यह सब फर्जीवाड़ा साफ तौर पर नजर आएगा। कई बार इन बसों के पास फर्जी रूप से शादियों की बुकिंग अनुसार बारातियों को ले जाने के नाम का भी परमिट होता है।

शादियों के सीजन में यह बस संचालक, फर्जी शादियों के कार्ड लगाकर बारात के नाम से टूरिस्ट परमिट प्राप्त करते हैं। इस तरह नये-नये नाम पर यह बस संचालक यात्रियों को एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में यात्री परिवहन के रूप में ले जा रहे हैं जबकि इनका नेशनल टूरिस्ट परमिट होता है। वहीं इन टूरिस्ट स्लीपर कोच बसों के संचालकों द्वारा यात्रियों से मनमाना किराया भी वसूला जा रहा है।

विशेष रुप से झाबुआ जिले से यात्री गुजरात के मोरबी, राजकोट, गांधीधाम और अन्य स्थानों पर काम की तलाश मे जाते हैं। इन बसों में यदि चैकिंग की जाए क्षमता से अधिक सवारियों का परिवहन इन बसों में किया जाता है। यदि हम बात करें किराए की तो झाबुआ के पिटोल से मोरबी का किराया गुजरात परिवहन निगम की बसों द्वारा रुपये 260 प्रति यात्री से वसूला जाता है। वहीं इन नेशनल टूरिस्ट बस संचालकों द्वारा संभवत: रुपये 500 प्रति यात्री किराया वसूला जाता है और कुछ यात्रियों से 600 भी वसूला जाता है।

वहीं झाबुआ से मध्यप्रदेश परिवहन निगम की बसों द्वारा झाबुआ से राजकोट का किराया रुपये 280 प्रति सवारी वसूला जाता है जबकि इन टूरिस्ट परमिट बसों द्वारा रुपये 600। यदि इन बसों की क्षमता 40 सवारी की है तो इन बसों में 60-70 सवारी के आसपास सफर करती हुई नजर आएगी। यदि किराया का गुणा यात्रियों के हिसाब से किया जाए तो करीब 1 बस प्रति फेरे में रुपये 15000 अधिक किराया यात्रियों से वसूल रही है और जिले से होकर करीब इस तरह की 200 से अधिक बसों का आवागमन होता है।

इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह यात्री किराए के नाम पर यह बस संचालक लूट रहे हैं। इस तरह नेशनल टूरिस्ट परमिट बसों द्वारा अवैध रूप से यात्री परिवहन कर दुगुना किराया जिले की भोली-भाली जनता से वसूला जा रहा हैं।

ये नेशनल टूरिस्ट बसे अपराधियों के लिए सबसे सुविधाजनक होती है। इन बसों में अपराधी गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि अनेक राज्यों में आसानी से सफर कर पुलिस को चकमा दे सकता हैं। क्या प्रशासन प्रशासन इस ओर ध्यान देकर मामा के प्रदेश में इस तरह नेशनल टूरिस्ट परमिट बस संचालकों द्वारा यात्री किराए के रूप में गरीब आदिवासियों का शोषण लगातार जारी रहेगा या फिर कोई कार्रवाई भी की जावेगी?

एक तरफ प्रदेश के मामा आदिवासियों के उत्थान की बात करते हैं और उनके विकास की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हीं के प्रदेश में नेशनल टूरिस्ट परमिट के नाम पर बस संचालकों द्वारा भोले-भाले आदिवासियों से यात्री किराए के रुप मे लूटा जा रहा है या यूं कहें आदिवासी ग्रामीण जनों का शोषण किया जा रहा है तो भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। सबसे बड़ी विचारनीय बात यह है कि इस तरह यात्रियों से दुगना किराया वसूली की जानकारी आमजन, प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को भी है लेकिन आज तक इसको लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। परिवहन विभाग तो इस तरह नेशनल टूरिस्ट परमिट की बसें की जांच भी करना उचित नहीं समझ रहा है। कागजी खानापूति हेतु अवश्य अन्य बसों पर कार्रवाई कर इतिश्री की जा रही है।

जानकारी अनुसार इस तरह की निजी बस संचालकों द्वारा झाबुआ शहर से सटे ग्राम करड़ावद में अवैध रूप से एक बस स्टैंड भी बना रखा है, जहां से टिकट बुकिंग सिस्टम भी होता है। इसके अलावा झाबुआ के जेल चौराहे, राजगढ़ नाका, मेघनगर नाका, भंडारी पंप चौराहा आदि स्थानों से भी सवारियों को इन बसों में बैठाया जाता है। यदि परिवहन विभाग और प्रशासन समय-समय पर इन बसों की चैकिंग और यात्रियों की चैकिंग करें तो यात्री परिवहन के नाम पर एक बड़ा खुलासा हो सकता है। यह नेशनल टूरिस्ट बसे अपराधियों के लिए सबसे अधिक सहायक सिद्ध हो रही है।

जिले से होकर नेशनल टूरिस्ट परमिट के नाम पर भी अनेक बसों का संचालन हो रहा है और इन बस संचालकों द्वारा क्षमता से अधिक सवारियों को बैठाकर ठंूस-ठूंस कर भरा जा रहा है और इन गरीबजनों से मनमाना किराया वसूल कर अपनी जेबे भी गर्म की जा रही है और यात्रियों की जान से खिलवाड़ भी किया जा रहा है। मामा के प्रदेश में इन गरीब भोले-भाले आदिवासियों का शोषण किया जा रहा है लेकिन फिर भी परिवहन विभाग और जिला प्रशासन मौन या जान कर भी अंजान, आखिर क्यों?

Next Post

चलती कार में आग लगी, मची अफरा-तफरी

Sat Dec 18 , 2021
पेट्रोल की पाइप फटने से हुआ हादसा, बाल्टियों से पानी डालकर आग पर पाया गया काबू झाबुआ, अग्निपथ। शहर के सज्जन रोड पर टेकरी पर एक मारूति कार में 18 दिसंबर, शनिवार दोपहर करीब 3 बजे अचानक से आग लग गई। आग लगने का कारण पेट्रोल की नली फटना रहा। […]