अधिकारियों से रिपोर्ट लेकर कार्य योजना तैयार कराने में करेंगे मदद
उज्जैन, अग्निपथ । शिप्रा नदी को प्रदूषण से मुक्त करने के साधु संतो के आंदोलन की धमक भोपाल में हलचल मचा रही है। उत्तरप्रदेश के कार्यक्रमों से फ्री हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को बेहद संजीदगी से लिया है। अब उन्होंने चार मंत्रियों की एक कमेटी बना दी है।
यह कमेटी विभाग प्रमुख अधिकारियों के बीच तालमेल बनाकर शिप्रा को प्रदूषण से पूरी तरह मुक्त करने की कार्ययोजना को अमलीजामा पहनाएगी। कार्ययोजना को सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा ताकि सिंहस्थ से ऐन पहले शिप्रा के लिए ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं पड़े।
मुख्यमंत्री ने जिन चार मंत्रियों को यह जिम्मेदारी सौंपी है उनमें नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, जिले के प्रभारी मंत्री जगदीश देवड़ा और स्थानीय मंत्री डा. मोहन यादव को शामिल किया गया है। सूत्रों की माने तो भोपाल में जल्द ही कमेटी के चारों मंत्री संबंधित विभागों के प्रमुख अधिकारियों के साथ बैठक कर शिप्रा शुद्धीकरण की ठोस कार्ययोजना पर मंथन करेंगे और फाइनल ड्राफ्ट तैयार करने के बाद सीएम के सामने इसका प्रेजेंटेशन होगा।
इस बीच इसी कमेटी के सदस्य और खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उज्जैन के साधु-संतो के साथ बैठक कर उनके द्वारा सुझाए गए उपायों को भी सुनेंगे और उसे प्रस्तावित कार्ययोजना में शामिल करेंगे।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर भोपाल से उज्जैन पहुंचे अधिकारियों के दल ने शिप्रा शुद्धिकरण के लिए दो स्तरीय कार्ययोजना पर मंथन किया है। तत्कालिक और पूर्णकालिक कार्ययोजना के रूप में शिप्रा जल को सदैव शुद्ध रखने के लिए उपाय तलाशे गए है।
शुक्रवार को पूरे दिन उज्जैन में रहे जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एस.एन. मिश्रा, नर्मदा घाटी विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आईपीसी केशरी और नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मनीष सिंह सीनियर की अब चारों मंत्रियों की कमेटी के साथ भोपाल में अगली बैठक होगी।
सिंहस्थ रहेगा योजना के केंद्र में
राज्यशासन को अगले साल तक उज्जैन में सिंहस्थ 2028 संबंधी कार्य भी शुरू करना है। यहीं वजह है कि शिप्रा शुद्धीकरण को लेकर तैयार की जाने वाली योजना में सिंहस्थ को केंद्र में रखा जाएगा। योजना का इस तरह से तैयार किया जाएगा ताकि सिंहस्थ से पहले शिप्रा का जल पूरी तरह से निर्मल किया जा सके।
इसके लिए इंदौर से उज्जैन के बीच दो से तीन स्थानों पर जलशोधन यंत्र स्थापित करने, राघोपिपल्या से पहले कान्ह नदी को ओपन नहर के माध्यम से डायवर्ट करने, त्रिवेणी के पास दो स्तर पर कान्ह पर पक्के डेम का निर्माण करने जैसे कार्यो के साथ ही देवास, इंदौर और उज्जैन जिले में शिप्रा नदी के किनारे बसे गांवो का गंदा पानी भी नदी में जाने से रोकने संबंधी उपायों को शामिल किया जाएगा।