नई दिल्ली। हमारे देश में शिक्षा, कला, विज्ञान, मनोरंजन और समाजकार्यों के लिए पद्म सम्मान दिए जाते हैं। जिसमें उन लोगों का नाम शामिल होता है, जिन्होंने इनमें से किसी भी क्षेत्र में अपना विशेष योगदान तो दिया ही है। साथ ही, जिन्होंने अपनी कुछ अलग पहचान भी बनाई है। इस क्रम में गणितज्ञ में सफलता हासिल करने वालों को रामानुजन पुरस्कार से दिया जाता है। हाल ही में, कोलकाता की भारतीय सांख्यिकी संस्थान में प्रोफेसर और गणितज्ञ नीना गुप्ता को युवाओं के लिए रामानुजन पुरस्कार से नवाजा गया है।
उन्हें यह पुरस्कार एफाइन बीजगणितीय ज्यामिति और कम्यूटेटिव बीजगणित में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए दिया है। बता दें कि नीना गुप्ता कोलकाता के भारतीय सांख्यिकी संस्थान में गणितज्ञ प्रोफेसर हैं, जिन्होंने अपनी पढ़ाई भी कोलकाता से पूरी की है। हालांकि, नीना गुप्ता चौथी भारतीय भारतीय गणितज्ञ हैं, जिन्हें रामानुजन पुरस्कार से नवाजा गया है, तो चलिए जानते हैं नीना गुप्ता से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में…
नीना गुप्ता का सफर
नीना गुप्ता कोलकाता के भारतीय सांख्यिकी संस्थान में गणितज्ञ प्रोफेसर हैं। उन्होंने 2006 में कोलकाता के बेथ्यून कॉलेज से गणित ऑनर्स से स्नातक किया था। फिर इसके बाद नीना गुप्ता ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान से स्नातकोत्तर किया था। इसके बाद, नीना गुप्ता ने बीजगणितीय ज्यामिति में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) की। इसी दौरान इन्होंने वर्ष 2014 में ज़ारिस्की की ‘रद्दीकरण समस्या पर शोध किया था, जो प्रकाशित भी हुआ।
पहले भी मिल चुके हैं ये पुरस्कार
रामानुजन पुरस्कार विजेता नीना गुप्ता को 2014 में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी से ‘यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड’ मिला से भी नवाजा गया था। साथ ही, उनके काम की सरहाना करते हुए बीजगणितीय ज्यामिति में अब तक किए गए सर्वश्रेष्ठ कार्यों में से एक बताया गया था। इसके बाद, नीना गुप्ता को 2019 में 35 वर्ष की आयु में ‘शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार’ दिया गया। इसी के साथ नीना गुप्ता सबसे कम उम्र में यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली महिला बन गईं। उन्होंने 70 साल पुरानी गणित की पहेली – ज़ारिस्की की रद्दीकरण समस्या को सफलतापूर्वक हल कर लिया है।
रामानुजन पुरस्कार क्या है?
यह पुरस्कार प्रतिवर्ष विकासशील देशों के एक गणितज्ञ को दिया जाता है, जिसकी आयु उस वर्ष के 31 दिसंबर तक 45 वर्ष से कम है, और उसने विकासशील देशों में उत्कृष्ट शोध किया है। रामानुजन पुरस्कार पहली बार 2005 में प्रदान किया गया था और इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय गणितीय संघ के साथ संयुक्त रूप से सैद्धांतिक भौतिकी के लिए अब्दुस सलाम इंटरनेशनल सेंटर द्वारा प्रशासित किया जाता है।
इन्हें भी किया जा चुका है सम्मानित
यह पुरस्कार नीना गुप्ता से पहले भारतीय गणितज्ञ रामदोराई सुजाता को 2006, अमलेंदु कृष्णा को 2015 और रीताब्रत मुंशी को 2018 में सम्मानित किया जा चुका है। यह बहुत ही गर्व की बात है कि भारत की चार महिलाओं को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें ।