कृषि मंडी में धोखाधड़ी रोकने का प्रयास : किसान ने व्यापारी का पैसा लौटाया,अब हर किसान को परिचय पत्र देने के बाद होगा फसल का भुगतान,

उज्जैन मंडी

मंडी में नई व्यवस्था लागू करने के आदेश हुए जारी

उज्जैन, अग्निपथ। पिछले दिनों कृषि उपज मंडी में व्यापारी के साथ हुई 51 हजार की धोखाधड़ी करने वाले किसान ने पैसा वापस कर दिया है। किसान ने अपनी गलती मानकर पैसा लौटाया है। हालांकि उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यह दूसरा मामला है, जब व्यापारी को कम फसल देने के बाद किसान ज्यादा भुगतान लेकर गया और मामले का खुलासा होने के बाद पैसे लौटाए।

दो माह पहले भी इसी तरह का मामला सामने आया था, तब भुगतान नहीं होने की वजह से किसान को मौके पर ही पकड़ लिया गया था। उसने गलती मानकर मामला समाप्त कर दिया था। व्यापारी ने भी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। तब शांति ट्रेडर्स पर धोखाधड़ी का प्रयास किया गया था। इस बार सुगन ट्रेडर्स पर धोखाधड़ी की गई। इस मामले में धोखाधड़ी को अंजाम दे दिया गया था।

इधर मंडी में इस मामले के बाद सचिव उमेश बसेडिया शर्मा ने आदेश जारी किया है कि भुगतान के दौरान पहचान पत्र अनिर्वाय रुप से किसान लेकर आए। ताकि भुगतान देते समय व्यापारी पहचान पत्र की फोटो कापी अपने पास जांचने के बाद रखे। इससे भुगतान लेकर जाने वाले व्यक्ति की पहचान तत्काल हो जाएगी।

उन्होंने आदेश में बताया कि 17 दिसंबर धोखाधड़ी के मामले में जांच के दौरान सामने आया था कि पहचान पत्र नहीं होने से किसान की पहचान नहीं हो पाई। व्यापारी के यहां सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे होने की वजह से भी ज्यादा भुगतान लेकर जाने वाले की पहचान नहीं हो पाई है। इसलिए अब व्यापारी से जो भी किसान भुगतान लेने आए वह अपना पहचान पत्र लेकर आए।

इसके साथ ही मंडी में आने वाले किसान को प्रवेश पर्ची जरूर दी जाए। हालांकि यह नियम में शामिल है। परन्तु आवक बढऩे से गेट पर प्रवेश पर्ची काटने में कर्मचारी लापरवाही बरतते हैं। इसलिए भी किसान की पहचान और आवक की डिटेल मंडी के पास नहीं हो पाती है। परन्तु अब प्रवेश पर्ची के नियम को सख्ती से लागू करने की मांग व्यापारियों द्वारा की जा रही है।

इस संबंध में व्यापारी शेलेंद्र सिंह बुंदेला और निमेष अग्रवाल का कहना है कि व्यापारियों से भुगतान लेने के समय किसान को अपनी पहचान बताने के लिए कहा जाना चाहिए। नियम को सख्ती से लागू किया जाए। ताकि व्यापारी के साथ ही किसान की साख भी बची रहे। एक दो लोगों की वजह से किसान पर सभी शक करने लगते हैं।

प्रांगण में निरीक्षण दल करेगा जांच

इधर मंडी में धोखाधड़ी की घटना के बाद मंडी प्रशासन ने निरीक्षण दल को सख्ती से जांच के निर्देश दिए हैं। ताकि न तो व्यापारी के साथ धोखाधड़ी हो और न ही किसान के साथ। मंडी का निरीक्षण दल किसानों की समस्या के निराकरण के लिए नीलामी के समय मौजूद रहेगा।

इस तरह से हुई थी धोखाधड़ी

मंडी में किसान फसल लेकर आते हैं। नियम के मुताबिक किसान के प्रवेश के समय प्रवेश पर्ची कटती है। परन्तु मौजूदा मंडी में इसका पालन नहीं होता है। इस वजह से किसान की फसल की सही स्थिति की जानकारी नहीं होती। व्यापारी के खरीदी करने के बाद किसान फसल की तुलाई कराता है और उसके आधार पर व्यापारी भुगतान कर देता है। मंडी में नीलामी पर्ची और कांटे पर वजन की तुलाई के बाद व्यापारी भी उसकी उपज की तुलाई करता है। इस व्यवस्था में दोनों सहमत होते हैं और माल के लेनदेन होता है। परन्तु भुगतान नीलामी पर्ची के आधार पर होता है। इस पर्ची में दूसरी बार किसान की तरफ से कांटछांट हुई है।

धोखाधड़ी इस वजह से हो जाती है कृषि उपज मंडी में

जिस किसान के नाम से फसल आती है। उसके बेटे या अन्य परिजन फसल लेकर आते हैं और उसके नाम से भुगतान लेकर चले जाते हैं। इसमें कई बार कुछ लोग गड़बड़ी कर देते हैं। इसकी जानकारी असली किसान को नहीं रहती है और वह धोखाधड़ी का आरोपी बन जाता है जबकि वह सीधे रूप से इसमें शामिल नहीं रहता है।

परन्तु उसके नाम से धोखाधड़ी होने की वजह से वह भी कटघरे में खड़ा हो जाता है और परिजनों के नाम उजागर करने से बचते हुए सारा दोष खुद पर ले लेता है। इसी वजह से मंडी में व्यापारी किसान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। वह किसान का सम्मान करते हैं और जानते हैं कि किसान के साथ उसका वर्षो से लेनदेन होता आ रहा है। किसान किसी तरह की धोखाधड़ी नहीं करता है।

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