ठेका पुरानी शर्तों के हिसाब से कराने के लिए एसडीएम को लिखे पत्र
सुसनेर, अग्निपथ। उज्जैन-चंवली सडक़ मार्ग चौड़ीकरण में बाधा बन रहे सैकड़ों पेड़ों की कटाई के लिए तहसीलदार सुसनेर ने निविदा जारी की है। खास बात यह है कि पहली निविदा जारी करने के चार दिन बाद ही शर्तों को बदलकर नयी निविदा जारी की गई है। ऐसा एक खास ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए प्रशासन के अधिकारी ने किया है।
यह आरोप सुसनेर ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष आशिक हुसैन बोहरा व मप्र श्रमजीवी पत्रकार संघ के सुसनेर ब्लाक अध्यक्ष मांगीलाल सोनी ने लगाये हैं। दोनों पदाधिकारियों ने एसडीएम सुसनेर को अलग-अलग शिकायती पत्र जारी कर पुरानी शर्तों के हिसाब से ही टेंडर प्रक्रिया पुरी कराने की मांग की है। बताया गया कि उज्जैन-चंवली मार्ग के आसपास के हरे वृक्षों की कटाई आगर तहसील में तनोडिया से आमला एवं सुसनेर तहसील में आमला से चंवली तक की जाना है।
उसका ठेका आगर में जिला प्रशासन के सहयोग से आगर तहसील का टेंडर मात्र एक ही बदनावर के ठेकेदार विनय चौहान द्वारा तीन अलग अलग व्यक्तियों के नाम से बोली लगाकर 6 लाख रुपये में ले लिया गया है जबकि इन हरे वृक्षों की कीमत करीबन 80 लाख थी परन्तु वन विभाग से 1200 वृक्षों का आकलन मात्र 6 सौ के आसपास करवाकर आगर के लकड़ी ठेकेदारों को बोली में वंचित कर 6 लाख 81 हज़ार रुपये में ही प्राप्त कर लिया गया है।
जबकि सुसनेर में पूर्व में इन्हीं ठेकेदार द्वारा 710 हरे वृक्षों की कटाई का ठेका मात्र 8 लाख 31 हज़ार रुपये में प्राप्त किया गया था। जिस पर मामला मीडिया में आने के बाद एवं स्थानीय लकड़ी व्यापारियों की शिकायत पर तहसीलदार सुसनेर की उक्त कार्य के टेंडर कार्यवाही को एसडीएम सोहन कनाश ने निरस्त कर पुन: टेंडर करवाये गए थे।
ज्यादा बोली लगाने वाले का ठेका निरस्त कर कम वाले को देने की कोशिश
उक्त टेंडर में सुसनेर के अजरुद्दीन पिता निजाम मन्सूरी ने सबसे अधिक बोली 21 लाख 71 हज़ार रुपये की लगाकर अपने नाम टेंडर स्वीकृत करवाई थी। बदनावर के ठेकेदार की बोली दूसरे नम्बर पर थी। परन्तु पुन: उक्त ठेकेदार द्वारा कम कीमत में उक्त कार्य को अपने नाम से लेने के लिए पौने दो लाख का चेक सम्बंधित स्वीकृत बोलिदार को देकर टेंडर कार्य नही करने एवं अमानत राशि राजसात करने का आवेदन दिलाकर उक्त नीलामी कार्यवाही को निरस्त करवा दिया।
क्योंकि दूसरे नम्बर पर रहने वाले बदनावर के ठेकेदार ने भी उक्त राशि में उक्त कार्य नही करने से मना कर दिया साथ तीसरे नम्बर के ठेकेदार को भी मना करवा दिया गया।
जिस पर तहसीलदार द्वारा तीनो बोलीदारों की अमानत राशि राजसात कर 17 दिसंबर को समाचार पत्रों में विज्ञप्ति निकालकर 24 दिसम्बर को टेंडर आमंत्रित किये थे। जिसमें अमानत राशि को बढ़ाकर 1 लाख 35 हज़ार रुपये की गई थी परन्तु इतनी राशि जमा करने के बाद भी बहुत ज्यादा लोग उक्त कार्य को करने के लिए राशि जमा करने तहसीलदार कार्यालय पहुचे थे।
परन्तु स्थानीय एवं जिला प्रशासन की शायद उक्त बदनावर के व्यक्ति को ही उक्त कार्य का ठेका दिलाने की मंशा के चलते 21 दिसम्बर को संशोधित निविदा समाचार पत्र में जारी कर नियमों में बड़े बदलाव कर दिए। नई विज्ञप्ति के अनुसार 28 दिसम्बर को टेंडर जमा होंगे।
सवाल यह
इन सबके बीच कुछ सवाल टेंडर को लेकर उठ रहे हैं।
- सबसे पहला सवाल तो मात्र विज्ञप्ति प्रकाशन के चार दिन बाद ही निविदा क्यों खोली जानी है?
- दूसरा सवाल यह कि अचानक नियमों में बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी? क्या तहसीलदार को इन कड़े किये गये नियमों की पहले जानकारी नहीं थी या किसी को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों में बदलाव किया गया?
- क्या ज्यादा राशि देने वाले की बजाय कम राशि देने वालों को लाभ पहुंचाने की कोशिश हो रही है या नए नियमों से टेंडर जारी होने पर शासन को राजस्व अधिक मिलेगा।