डॉ शिव शर्मा पर केंद्रित पुस्तक डॉ. शिव शर्मा, अनथक व्यंग्य का टेपा राग का विमोचन
उज्जैन, अग्निपथ। लेखक का लेखन वही होता है जो उसका व्यक्तित्व होता है। शिव शर्मा के मन में मालवी मिट्टी का दिल था। साफ बोलना और सुखी रहना उनके व्यक्तित्व की निशानी थी। शिव जी की सबसे बड़ी देन टेपा सम्मेलन रही।
ये विचार अखिल भारतीय टेपा सम्मेलन द्वारा प्रेस क्लब में आयोजित शिव शर्मा की जयंती पर विरासत स्मरण प्रसंग में सारस्वत अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार शिव चौरसिया ने व्यक्त किए। स्मरण प्रसंग में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रमोद त्रिवेदी ने कहा कि जो तस्वीर में होता है वह आंखों से तो ओझल हो सकता है पर दिल से कभी ओझल नहीं होता। शिव शर्मा बाहर से भीतर से पूरे देशज थे और उन्होंने अपना आकाश बड़ा करने के लिए किसी का आकाश कभी छोटा नहीं किया।
आचार्य हरिमोहन बुधौलिया, डॉ पिलकेन्द्र अरोरा ने भी विचार व्यक्त किए। डॉ अभिलाषा शर्मा की डॉ शिव शर्मा पर केंद्रित पुस्तक डॉ शिव शमा, अनथक व्यंग्य का टेपा राग का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। पुस्तक चर्चा श्रीराम दवे ने की।
आरम्भ में शिव शर्मा के चित्र पर अतिथियों द्वारा पुष्पांजलि से आयोजन आरम्भ हुआ। अतिथि स्वागत सचिव मनीष शर्मा, ओम अमरनाथ,योगेश शर्मा, आशीष शर्मा, नीलेश शर्मा, मुकेश जोशी आदि उपस्थित थे। संचालन डॉ हरीशकुमार सिंह ने किया और आभार सुरेंद्र सर्किट ने व्यक्त किया।