महफिल सूनी कर गये सिराज भाई!

जब मेरा शहर क्रिसमस के जश्न में डूबा हुआ था तभी आयी एक मनहूस खबर कि उज्जैन की एक पहचान बन चुके प्रसिद्ध शायर सिराज अहमद सिराज अब इस दुनिया में नहीं रहे। खबर ने पूरे शहर को शोक की चादर ओढ़ा दी। अपनी इंसानियत और मानवता भरी शायरी और गीतों के माध्यम से सिराज भाई ने सबके दिलों में अपने लिये एक विशेष जगह बनायी थी।

जादुई व्यक्तित्व के धनी सिराज भाई में कुछ ऐसा आकर्षण था कि जो उनसे एक बार भी मिलता था वह हमेशा के लिये उनका होकर रह जाता था। राष्ट्रीय एकता के लिये उनका गाया गीत ‘वंदेमातरम’ तो लोगों के जहन और रूह में कुछ ऐसा उतर गया था कि वह जहाँ-जहाँ यह गीत गाते थे महफिल लूट लेते थे। शहर व मध्यप्रदेश की सीमाओं को लाँघकर सिराज भाई ने पूरे हिंदुस्तान में अपनी शायरी से उज्जैयिनी का नाम रोशन किया था।

सदैव हिंदु-मुस्लिम एकता के लिये रचनाओं का निर्माण करते थे। मुस्लिम समाज से ज्यादा हिंदु धर्मावलंबी उनके मुरीद थे। सिराज भाई से जुड़े अधिकांश लोग उनके पारिवारिक सदस्य हो जाया करते थे। पेशे से अभिभाषक सिराज अहमद सिराज मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में थे शायद माता-पिता ने उनका नामकरण सिराज करने के पूर्व यह नहीं सोचा होगा कि यह बालक आगे जाकर अपने नाम को इतना सार्थक करेगा।

हिंदी में सिराज का शाब्दिक अर्थ लैम्प, लाईट होता है। सचमुच में सिराज भाई के स्वभाव व व्यक्तित्व में नाम के शाब्दिक प्रभाव का असर स्पष्ट दिखायी देता था। देश में कौमी एकता के लिये उन्होंने ताउम्र एक शायर के रूप में समाज को प्रकाश दिखाने का ही कार्य किया है।

दैनिक अग्निपथ और चंदेल परिवार से उनका गहरा नाता रहा है अग्निपथ के हर कार्यक्रम में उनकी रचनाओं का पाठ अनिवार्य होता था। देश का वह हर व्यक्ति जिसने उनकी रचना सुनी है या उनके संपर्क में आया है वह आज गमगीन है। समय से पहले सिराज भाई के इस दुनिया से रूखसत हो जाने के कारण ऐसा महसूस हो रहा है कि जैसे परिवार का कोई व्यक्ति आज दुनिया को अलविदा कह गया हो।

उनकी कालजयी, रचना ‘बड़ी कुर्बानियों के बाद मिलती है दिल में जगह’ बस याद बनकर रह गयी है। हिंदुस्तान की शायरी का मंच आज सूना-सूना सा हो गया है। दैनिक अग्निपथ एवं चंदेल परिवार मरहूम सिराज अहमद सिराज को अपनी अश्रुपुरित श्रद्धांजलि व्यक्त करता है।

– अर्जुनसिंह चंदेल

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