रायपुर। महाराष्ट्र के संत कालीचरण महाराज के खिलाफ रायपुर में पुलिस केस दर्ज किया गया है। रविवार को धर्म संसद में महात्मा गांधी के खिलाफ उनके अपमानजनक बयान को लेकर यह केस दर्ज किया गया है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के रावण भांटा में दो दिवसीय धर्म संसद का आयोजन किया गया था। इसके आखरी दिन महाराष्ट्र से आए कालीचरण ने खुले मंच से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपशब्द कहे और महात्मा गांधी को गोली मारने वाले को प्रणाम किया। इसके अलावा कालीचरण ने 1947 के विभाजन का भी अपने संबोधन में जिक्र किया और भीड़ को चेतावनी दी की देश में राजनीति के द्वारा एक धर्म विशेष का कब्जा हो जाएगा। वो इसके लिए तैयार है और आप तैयार नहीं हैं।
विवादित बयान को लेकर कांग्रेस ने थाने में दर्ज कराई शिकायत
वहीं कालीचरण के विवादित बयान की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना की जा रही है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने भी कालीचरण के बयान की निंदा की और देर रात थाने में शिकायत दर्ज कराई। प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष (पीसीसी चीफ) मोहन मरकाम ने कहा कि, राहुल गांधी ने देश के सामने जो हिंदुत्ववादियों का चेहरा रखा है, ये अब बेनकाब हो रहे हैं। वर्षों से इनके चेहरे पर लिपटी धर्म की चादर अब उतर रही है, इसलिए ये बिलबिला रहे हैं. गांधी गोलियों से नहीं मरते. गांधी विचार हैं जो हर हिंदुस्तानी में जिंदा हैं। महात्मा गांधी का अपमान करने वाले कालीचरण के विरुद्ध राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिये.इस लिए एफआईआर करवाई गई है।
टिकरापारा थाने में देर रात केस दर्ज
इधर,देर रात रायपुर पुलिस ने मामले पर संज्ञान लिया है और कालीचरण के खिलाफ टिकरापारा थाना में अपराध क्रमांक 578/2021 दर्ज़ किया गया है। पुलिस ने बताया कि रावणभाटा ग्राउंड में आयोजित धर्मसंसद में महात्मा गांधीजी के लिए अपशब्दों का प्रयोग करने वाले कालीचरण महाराज के विरुद्ध प्रमोद दुबे ने शिकायत दर्ज कराई है।
महंत रामसुंदर दास ने किया विरोध
राज्य गोसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास ने कालीचरण के बयान का खुले मंच से विरोध किया। उन्होंने कहा कि मैं इस कार्यक्रम से ताल्लुक नहीं रखता, हालांकि आयोजकों ने उन्हें मुख्य संरक्षक बनाया था। भड़के हुए लहजे में रामसुंदर दास ने कहा कि मंच से महात्मा गांधी को गाली दी गई है, हम इसका विरोध करते हैं। यह सनातन धर्म नहीं और ना ही धर्म संसद के मंच पर इस तरह की बात होनी होनी चाहिए। इतना कहकर महंत रामसुंदर दास मंच से उतर गए और तमतमाए हुए अंदाज में वापस दूधाधारी मठ लौट गए।