निर्धन दिव्यांग बना प्रोफेसर, झाबुआ में किया स्वागत

झाबुआ, अग्निपथ। झाबुआ और आलीराजपुर जिले में दिव्यांगजनों के अधिकारों और कर्तव्यों के लिए वर्षों तक संघर्ष करने वाले, पूर्व में जिला विकलांग पुनर्वास केंद्र में प्रशिक्षक के रूप में पदस्थ रहे बाबुलाल कुम्हारे ने हाल ही में 20 दिसंबर-2021 में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर से पीएचडी की उपाधि अर्जित की है। परिवार से निर्धन होने के बाद भी तथा 60 प्रतिशत दृष्टि बाधित होने के बाद भी बाबुलाल कुम्हारे में अपने जीवन में तमाम संघर्षों के बीच अपना हौंसला बरकरार रखा।

जिसके कारण आज वह दिव्यांगजनों के लिए सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक सशक्तिरण विषय पर गहन शोध के बाद इस विषय में डिग्री हालिस कर चुके है। उनकी पदस्थापना मप्र के जाने माने जीवाजी यूनिवर्सिंटी में प्रोफेसर के पद पर हुई है।
मूलत: मप्र के टिकमगढ़ जिले के रहने वाले बाबुलाल कुम्हारे की प्रारंभिक शिक्षा टीकमगढ़ में होने के बाद उनका झाबुआ-आलीराजपुर जिले से लगाव होने के कारण झाबुआ आकर बसे।

उनका परिवार गांव में खेताबाड़ी करता है। वह उच्च शिक्षा के लिए झाबुआ आए और झाबुआ के शासकीय शहीद चन्द्रशेखर आजाद महाविद्यालय से बीए, बाद एमए किया। बाद इंदौर से एमएसडब्ल्यू, एमफिल और यूजीसी द्वारा आयोजित नेट एग्जाम भी क्लीयर की। इस बीच उन्होंने दिव्यांगजनों के विकास और प्रगति के लिए झाबुआ-आलीराजपुर दोनो जिलों में कई कार्य किए। राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई में कार्य करने पर उन्हें वर्ष 2006 में राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। बाद 29 अप्रेल 2008 में जयपुर राजस्थान में भी राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई में उत्कृष्ट कार्य करने पर पुरस्कृत हुए।

पीएचडी डिग्री हासिल कर डॉक्टर बने

बाबुलाल कुम्हारे ने बताया कि इसके बाद उन्होंने वर्ष 2013 में पीएचडी की तैयारी इंदौर में रहकर आरंभ की। इस बीच उन्हें कई प्रकार की आर्थिक रूप से परेशानी होने एवं कई लोगों द्वारा ब्लाइंडनेस के चलते उनके मनोबल को तोडऩे का भी प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने हार नहंी मानी और पढ़ाई जारी रखी। जिसके बाद करीब 7 साल के अंतराल में पिछले दिनों ही दिव्यांगजनों को आर्थिक और सशक्त बनाने के मुद्दे पर शोध करते हुए पीएचडी कर डॉक्टर की उपाधि हालिस कर अब उनके नाम के आगे डॉक्टर लग चुका है।

डीएवीवी के रेकार्ड में जुड़ा डॉ. बाबुलाल कुम्हारे का नाम

जिसमें उन्हें शोध केंद्र के निर्देशक डॉ. शोभा सुद्रास, डॉ. श्रद्धा मालवीय के साथ समय-समय गुरूजनों के रूप में भाबरा से ब्रेललिपी का ज्ञान सैयद अनवर अली, एएससपी रविन्द्र आतोलिया, डॉ. धर्मेन्द्र रावत, डॉ. प्रकाश इस्के, नरेन्द्र राजपूत आदि का भी सराहनीय सहयोग प्राप्त हुआ। डीएवीवी द्वारा जारी की जाने वाली राजपत्रित पीएचडी उपाधि करने वालों में अब डॉ. बाबुलाल कुम्हारे भी नाम भी हमेशा के लिए जुड़ गया है।

उनकी इस स्वर्णिम उपलब्धि पर 27 दिसंबर, सोमवार को दोपहर स्थानीय डीआरपी लाईन स्थित डॉ. अंबेडकर पार्क में उनके मित्रजनों ने उनका स्वागत समारोह रखकर पुष्पमालाओं से गरिमामय स्वागत किया। जिसमें जिलेभर से आए दिव्यांगजनों में पांगलसिंह गणावा, लालसिंह सोलंकी, जगदीश डावर, नाथुसिंह सिंगाड़, संजय गुप्ता, रविन्द्र डावर, दलसिंह राठौर, अंकित धाकड़े आदि ने स्वागत कर शुभकामनाएं प्रेषित की।

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