संसार में सबसे बड़ा दु:ख जन्म लेना और मरना – रामानंददास महाराज
उज्जैन, अग्निपथ। संसार में चार प्रकार के पुत्र होते हैं एक ओजस पुत्र जो माता पिता के तेज से उत्पन्न होता है, नाद पुत्र जो गुरू मंत्र देते है तो वह शिष्य भी पुत्र समान है, तीसरा भाव पुत्र होता है, अगर संतान नहीं है तो भाई के पुत्र को, चाचा के पुत्र को किसी के पुत्र को स्वीकार किया तो वह आपका पुत्र है, जो इन तीनों से भिन्न है वह सैव्य पुत्र। जिसने आपकी इतनी सेवा कर दी कि आप सेवा से प्रसन्न होकर अपनी संपत्ति तक उसे दे दो।
उक्त बात श्री गुरू पंचामृत नवम् पुष्प अमृत महोत्सव में चल रही श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ में कथा व्यास श्री रामानंददास महाराज श्रीधाम अयोध्या ने कही। अभा श्री पंच रामानंदीय खाकी अखाड़ा के श्री महंत अर्जुनदास खाकी ने बताया कि श्री राम कथा का आयोजन प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से किया जा रहा है। कथा में गुरूवार को श्रीराम जन्मोत्सव की कथा सुनाई कथा पंडाल ‘सीता राम-सीता राम के भजनों से गूंज उठा और भक्तों ने भगवान श्रीराम के जयकारे लगाए।
कथा में श्री रामानंददास महाराज ने कहा कि जिस दिन भगवान गर्भ में आए, दुष्टों को छोडक़र सभी सुखी हो गए। संसार में सबसे बड़ा दुख जन्म लेना और मरना होता है। दोनों समय व्यक्ति मूर्छित हो जाता है जन्म के समय ज्ञान नहीं होता, मरते समय बिच्छू एक हजार डंक मारे ऐसा दुख होता है। सारी शक्तियां मन इंद्रियों की खींचकर मन में डाल देता है सबकुछ भूल जाता है। इसलिए जब तक शरीर स्वस्थ है दान, पुण्य कर्म कर लो, अंत समय सिर्फ सोचते रह जाओगे।
श्री गुरू पंचामृत नवम् पुष्प अमृत महोत्सव में श्री एकादश कुंडात्मक नवदिवसीय श्रीराम मारूति महायज्ञ चल रहा है जो 4 जनवरी तक चलेगा।