पंजाब में 5 जनवरी को फिरोजपुर में रैली करने जा रहे प्रधानमंत्री के काफिले को रोके जाने के कारण मचा तूफान शायद 5 राज्यों में होने जा रहे चुनावों की घोषणा के बाद रूक जायेगा। क्योंकि देश की मीडिया और राजनैतिक दलों को भी दूसरा काम मिल गया है।
5 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को वायुयान द्वारा दिल्ली से फिरोजपुर पहुँचना था परंतु मौसम खराब होने के कारण वह हवाईजहाज से भटिंडा तक ही पहुँच सके और वहाँ से 111 किलोमीटर का फिरोजपुर तक का रास्ता उन्हें सडक़ मार्ग से तय करना था जो लगभग 3 घंटे का था। हुसैनी वाला के समीप एक फ्लाय ओवर पर कतिपय लोगों द्वारा लगाये गये जाम के कारण प्रधानमंत्री का काफिला 15 से 20 मिनट तक रूका रहा और उन्हें बिना रैली किये ही वापस लौटना पड़ा।
दिल्ली लौटते समय माननीय प्रधानमंत्री जी के इस वाक्य ने कि ‘मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना कि मैं सुरक्षित दिल्ली लौट रहा हूँ’ ने पूरे देश में तूफान ला दिया हमेशा की तरह हमारे देश के राजनैतिक दल के नेताओं ने चाहे वह भारतीय जनता पार्टी के हो या काँग्रेस के उन्होंने तुरंत इस घटना को लपक लिया और साथ मिल गया फुर्सत में बैठी हमारी मीडिया का जिसने इसे राई से पर्वत बना दिया।
बडबोले नेता इस घटना को खूनी साजिश, हमले की साजिश, ड्रोन से हमले की आशंका, आतंकवादी करतूत और भी न जाने क्या-क्या बताने लगे, दूसरा पक्ष इससे भी आगे निकला उसके नेता बयान देने लगे कि फिरोजपुर की रैली में भीड़ कम थी इस कारण प्रधानमंत्री लौट गये, वीडियो वायरल हो गये जिसमें जिस फ्लाय ओवर पर प्रधानमंत्री का काफिला रूका था उस काफिले के पास भाजपा नेता शिवम शर्मा को दिखाया गया जो नरेन्द्र मोदी जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं। दूसरे राजनैतिक दल के नेता इस घटना को केन्द्र सरकार की एजेंसियों की चूक बता रहे हैं।
हमारी जागरूक मीडिया ने आग में घी का काम किया। पिछले 4 दिनों से हर चैनल पर एक ही खबर, कहीं वाद-विवाद, कहीं बहस, किसी पर विशेषज्ञों की टीम घटना का पोस्टमार्टम कर रही है। वाह री मेरी देश की मीडिया, जितनी मेहनत इस घटना की जाँच करने में एजेंसियां नहीं करेगी उससे ज्यादा मेहनत हमारी मीडिया करती है। जाँच परिणाम तो बाद में आयेंगे मीडिया पहले ही देश की जनता को परिणाम बता देती है और दोषियों को भी कटघरे में ला खड़ा कर देती है।
नेताओं के आरोप प्रत्यारोप के बीच मुख्य मुद्दा गौण हो जाता है। निश्चित तौर पर हम 138 करोड़ भारतीयों के लिये देश का प्रधानमंत्री पद संवैधानिक होकर उस पर आसीन व्यक्ति हमारे लिये आदर और सम्मान का अधिकारी है चाहे वह किसी भी राजनैतिक दल का हो, भारत के प्रधानमंत्री हम भारतीयों के गौरव हैं।
माननीय नरेन्द्र मोदी जी के काफिले में इस तरह के गतिरोध को गंभीरता से लिया जाना चाहिये, भले ही इस घटना का किसी भी साजिश या षड्यंत्र से सरोकार ना हो, मानवीय भूल हो या फिर अप्रत्याशित रूप से स्वाभाविक घटना पर इससे सबक लिया जाना चाहिये जो लोग भी प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा में तैनात थे उनसे कहीं न कहीं उनके कत्र्तव्यों में कोताही तो हुयी ही है। ईश्वर को धन्यवाद है कि कुछ भी अप्रिय घटित नहीं हुआ परंतु यह घटना सबक जरूर दे गयी।