कहा- हमें धोखे में रखकर बैठक में बुलाया, बहिष्कार से हमारा संबंध नहीं
उज्जैन, अग्निपथ। क्रांतिकारी संत एवं स्वास्तिक पीठ के संस्थापक डॉ. अवधेश पुरी महाराज के कथित बहिष्कार में शनिवार को नया मोड़ आ गया। जिन संतों को बैठक में अन्य विषयो का बोलकर बैठक में बुलाया गया। शनिवार को उन्होंने आरोप लगाया कि हमें धोखे में रखकर यह फैसला कराया गया है।
बैठक शिप्रा आंदोलन, मठ मंदिर से जुड़े विधेयक को लेकर थी लेकिन बाद में वहां उक्त विषय रखकर सभी से सहमति ली गयी। शनिवार को इन संतो ने फिर से बैठक की और कहा कि बहिष्कार से हमारा कोई संबंध नहीं हम अवधेश पुरी जी का समर्थन करते हैं वे भी संत समाज से हैं और हमारे अपने हैं।
जूना अखाड़ा नीलगंगा के थानापति महंत देवगिरी महाराज, ज्योतिगिति आश्रम के महंत किशनगिरी जी महाराज, महंत गुप्त गिरी जी महाराज एवं महंत देव पुरी जी महाराज ने एक सुर में कहा कि महानिर्वाणी अखाड़े में आहुत बैठक में यह एजेंडा भी होगा इसकी हमें कोई जानकारी नहीं दी गई थी।
डॉ. अवधेश पुरी महाराज के बहिष्कार से हम संबंध नहीं रखते। यह महानिर्वाणी अखाड़े का आपसी मामला है। जिस पर स्थानीय स्तर से वैसे भी कोई निर्णय नहीं हो सकता। संतों ने बैठक कर कहा कि और भी कई संत शिप्रा शुद्धिकरण आंदोलन व मठ मंदिर विधेयक संबंधी बैठक होने की सूचना पर शामिल हुए थे। लेकिन एकाएक इस तरह का प्रस्ताव रख सभी से सहमति करा ली गई जो कि अनुचित है।
महानिर्वाणी अखाड़े के मुख्यालय तक पहुंचा मामला
डॉ. अवधेश पुरी महाराज फिलहाल महानिर्वाणी अखाड़े से जुड़े हैं। स्थानीय स्तर पर विनीत गिरी महाराज को उन्हें अखाड़े में रखने या ना रखने संबंधी फैसला लेने का अधिकार नहीं है। शनिवार को यह मामला महानिर्वाणी अखाड़े के मुख्यालय तक भी पहुंचा। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती महाराज एवं अखाड़े के वरिष्ठ संत महंत रविन्द्रपुरीजी महाराज को विषय की जानकारी तक नहीं। यदि ऐसा कुछ होगा तो इसकी अखाड़े में एक अलग पंच व्यवस्था है। बहिष्कार का अधिकार अखाड़े के जिन वरिष्ठ संतों को है उनमें से किसी को भी बहिष्कार की जानकारी तक नहीं।