नई दिल्ली। भारत कुछ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर जांच को आसान बनाने पर विचार कर रहा है। इस मामले से परिचित लोगों के अनुसार चीन को लेकर बनाए गए नियमों ने निवेशकों के लिए अड़चन पैदा कर दी है। इसे दूर करने के बारे में सरकार गंभीरता से सोच रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार उन कंपनियों के सभी निवेश प्रस्तावों की जांच करती है जो या तो उन देशों में स्थित हैं जो भारत के साथ भूमि सीमा साझा करते हैं या इनमें से किसी एक देश से निवेशक हैं। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार अब इसे संसोधित करने के बारे में सोच रही है।
सरकार अब वैसी कंपनियों को भारत में निवेश की इजाजत देने के बारे में सोच रही है, जिसके निवेशक पड़ोसी देशों के हों। हालांकि, उनका शेयर 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। आपको बता दें कि फिलहाल करीब 6 अरब डॉलर के प्रस्ताव अटके पड़े हैं।
एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस मामले से जुड़े अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि अगले महीने तक प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है।
चीन के साथ खूनी सीमा गतिरोध के बीच सरकार ने इस तरह के निवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। चीन और हांगकांग सहित अन्य पड़ोसी देशों के प्रस्तावों के साथ इस कदम ने निवेश के अनुमोदन प्रक्रिया को धीमा कर दिया।
एनडीटीवी ने इस मामले पर जवाब के लिए व्यापार और उद्योग मंत्रालय के प्रवक्ता को एक ईमेल भी भेजा, लेकिन उन्हों कोई उत्तर नहीं मिला है।
आपको बता दें कि मोदी सरकार की सख्ती ने निवेश की मंजूरी देरी के अलावा निवेशकों के लिए सौदेबाजी को भी जटिल बना दिया था। नियमों में ढील देने से निवेशकों के पूल का विस्तार होगा। स्थानीय कंपनियां तेजी से बड़े वैश्विक निवेशकों की ओर रुख करती हैं ताकि वे अपने विकास को फॉरेन फंड की मदद से विस्तार कर सकें।
नवंबर 2021 तक 100 से अधिक प्रस्तावों को सरकार से मंजूरी का इंतजार है, जिनमें से लगभग एक चौथाई एक करोड़ डॉलर से अधिक के हैं।