डोल निकालकर गडवाड़ा में किया अंतिम कार्यक्रम , बाहर से भी समाजजन एवं गुरू भक्तदर्शन हेतु पहुंचे
झाबुआ, अग्निपथ। दिगंबर जैन आचार्य विभवसागरजी महाराज के शिष्य मुनि शांतसागरजी मसा की समाधि झाबुआ में 13 जनवरी, गुरूवार को दोपहर 12.15 पर हो गई। मुनिश्री का एक दिन पूर्व ही 12 जनवरी, बुधवार शाम को थांदला से विहार करते हुए झाबुआ आगमन हुआ था। उनका संलेखना एवं संथारापूर्वक देवलोकगम हुआ है। अंतिम डोल दिंगबर जैन मंदिर स्थित समाज की धर्मशाला से इसी दिन शाम करीब 4.30 बजे निकाला गया। अंतिम क्रियाकर्म समीपस्थ ग्राम गडवाड़ा में किया गया।
जानकारी देते हुए दिगंबर जैन समाज झाबुआ के मीडिया प्रभारी आशीष डोशी ने बताया कि आपने विगत 30 नवंबर-2021 को ही आचार्य श्री विभव सागरजी मसा से दीक्षा ग्रहण की थी। आप हमेशा धर्म-कर्म में लीन रहते थे। आपका गृहस्थ जीवन का नाम सनतकुमारजी पिता कांतिलालजी निवासी प्रतापगढ़ राजस्थान के रहने वाले थे। दीक्षा के बाद नाम परिवर्तन हुआ। नाम अनुसार की शांत प्रवृत्ति के थे। आप दिगंबर जैन गिरनार कमेटी के सदस्य भी थे। आपके देवलोकगमन से दिंगबर जैन समाजजनों को गहरा आघात पहुंचा।
मुनि श्री के स्वर्गावास की खबर मिलने के बाद उनके अंतिम दर्शन हेतु ना केवल जैन समाज झाबुआ अपितु बाहर से भी उनके अनुयायी और समाज दर्शन हेतु पहुंचे। ढोल में कोविड के नियमों के साथ समाजजन सम्मिलित हुए।