लोग तमाशबीन बने रहे, एडवोकेट ने पहुंचाया हॉस्पिटल, नहीं बच सकी जान
उज्जैन,अग्निपथ। जीरो पाईंट ब्रिज पर शनिवार दोपहर लोहमर्षक हादसा हो गया। ममेरी बहन के साथ एक्टिवा से जा रही छात्रा चायना डोर (मांजा) का शिकार हो गई। डोर से छात्रा का गला कटने पर सडक़, रैलिंग व वाहन खून से सन गया। लहूलुहान छात्रा सडक़ पर गिर गई, लेकिन लोग तमाशबीन बने रहे। हालांकि एक एडवोकेट ने छात्रा को हॉस्पिटल पहुंचाया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। मामले में देवासगेट पुलिस जांच कर रही है।
महिदपुर के ग्राम जगोटी निवासी नेहा पिता अंतर सिंह आंजना (18) ज्ञान सागर एकेडमी में 11 वीं की छात्रा थी और इंदिरानगर में मामा के साथ रहती थी। शनिवार दोपहर वह ममेरी बहन निकिता को लेकर एक्टिवा एमपी 13 डीआर 3685 से फ्रीगंज में डेंटिस्ट के यहां जा रही थी।
घासमंडी ब्रिज से गुजरने के दौरान उड़ती हुई पतंग की चायना डोर उसके गले में उलझ गई। वह डोर निकाल पाती इससे पहले ही किसी पतंगबाज ने डोर खिंची,जिससे उसका गला कट गया और खून के फव्वारा निकलने से गिरकर छपटपटाने लगी।
नेहा की हालत और चारों ओर खून देख निकिता सकते में आ गई। घटना देख एडवोकेट देवेंद्रसिंह सेंगर रुके और कुरियर सर्विस के यशवंत दुबे की मदद से नेहा को अपनी कार में डालकर समीप ही पाटीदार हॉस्पिटल ले गए,लेकिन ईलाज के पहले ही नेहा की मौत हो गई। सूचना मिलते ही पुलिस अधिकारी हॉस्पिटल पहुंचे।
प्रत्यक्षदर्शी सेंगर से जानकारी लेकर मौके पर पहुंचे और खून से लथपथ एक्टिवा,सडक़ व रैलिंग देख सकते में आ गए। घटना देवासगेट थाने की होने पर वहा से एसआई को बुलाकर केस दर्ज के निर्देश दिए। पुलिस ने अज्ञात पर धारा 304 में कायमी कर जांच शुरू की है।
नहीं रहा प्रतिबंध का असर
सर्वविदित है चायना डोर नायलोन के धागे और मैटेलिक पॉवडर से बनाई जाती है। जिससे स्टेंचेबल होने से खिचने पर यह रबर की तरह बढ़ती है। शरीर पर उलझने पर घायल होना निश्चित है। इसलिए प्रशासन हर साल चायना डोर पर प्रतिबंध लगाता है और पुलिस धरपकड़ करती है, बावजूद चोरी-छिपे बिकने से हर साल कई लोग इसका शिकार होते है। इस वर्ष भी एक दर्जन से ज्यादा लोग गंभीर घायल हुए है। प्रशासन को चाहिए कि दिसंबर की जगह साल भर प्रतिबंधित रखे, जिससे व्यापारी ला ही न सके।
आंखो देखी: असफल हुआ बचाने का प्रयास
विश्व बैंक कॉलोनी निवासी एडवोकेट सेंगर ने बताया कि वह कार से फ्रींगंज ऑफिस जा रहे थे। नेहा अपनी ममेरी बहन निकिता को लेकर उनके आगे ही एक्टिवा से जा रही थी। ब्रिज पर डोर से गला कटते ही वह गिर गई। निकिता भी डोर से मामूली घायल हुई। हादसा होने पर राहगीर रुककर देखने लगे।
इस पर कार रोककर नीचे उतरा तो नेहा के गले से खून का फव्वारा निकल रहा था और निकिता बदहवास होकर चोंट को हाथ से दबाकर खून रोकने का प्रयास कर रही थी। लेकिन खून रुक नहीं रहा था और नेहा की सांस उखडऩे लगी थी।
इस पर मैने नेहा का मास्क निकलवाया उसे कार में डालकर निकिता को बैठाया और पाटीदार हॉस्पिटल ले गया। इमरजेंसी में ले जाते ही सर्जन आ गए। इस दौरान निकिता को सांत्वना देकर परिजनों की जानकारी लेकर उन्हें सूचना दी। लेकिन नेहा को नहीं बचा सके।
चायना डोर से हादसों को रोकने के लिए हरिफाटक ब्रिज पर बांधा तार, समाजसेवियों का लोगों ने किया सम्मान
चायना डोर से होने वाले हादसो को रोकने के लिए हरिफाटक ब्रिज पर तार लगाकर दो दिनों तक डोर एकत्रित कर हटाने में सेवा देने वालों का समाजसेवी साकिर मुल्तानी और अशरफ पठान द्वारा सम्मान किया गया। अशरफ पठान ने बताया कि मकर संक्रांति के मौके पर सर्वधर्म मददगार सोसाइटी उज्जैन के द्वारा 2 दिन पूर्व हरिफाटक बेगमबाग ब्रिज पर चारों भुजाओं पर जो तार लगाए गए थे उसे मेंटेन करते हुए पूरी टीम सुबह से शाम तक चाइना डोर को इक_ा करने व नागरिकों को डोर से बचाने में लगी रही।
जिसमें टीम के साथ अन्य लोगों ने भी सहयोग प्रदान किया। सहयोगी के रूप में अब्दुल रहीम सचिव, अध्यक्ष आशिक़ हुसैन, इमरान भाई, शाकिर भाई, गुड्डू भाई, रइस भाई, उबेद भाई, साहिर भाई ,छोटू भाई, नितेश शर्मा, दमन भैयाजी आदि लोगों ने सेवाएं दी। इस सेवाकार्य के लिए संस्था के अध्यक्ष आशिक हुसैन, सचिव अब्दुल रहीम का सम्मान किया गया।