महाकाल वन योजना में नहीं हुआ भ्रष्टाचार, लोकायुक्त ने दी क्लीनचिट

उज्जैन,अग्निपथ। महाकाल वन योजना में घटिया निर्माण कार्य नहीं हुए। मामले में पूर्व महापौर द्वारा की गई शिकायत को लोकायुक्त की तकनीकि टीम ने गलत पाया। नतीजतन उन्होंने निगमायुक्त को योजना से संबंधित दस्तावेज प्राप्त करने के लिए पत्र लिखा है।

जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण योजना (जेएनएनयूआरएम) के तहत शहर के विकास के लिए महाकाल वन प्रोजेक्ट बनाया गया था। योजना के पहले चरण के लिए 2३.47 करोड़ रुपए मंजूर कर महाकाल मंदिर के पीछे दुकानों का निर्माण व अन्य कार्य हुए थे। इसी दौरान 1३ नवंबर 2014 को तात्कालीन महापौर रामेश्वर अखंड ने लोकायुक्त मुख्यालय भोपाल को महाकाल प्रोजेक्ट में घटिया निर्माण की शिकायत की थी। उन्होंने गुणवत्ता विहिन कार्य के लिए चार निगमायुक्त सहित 22 अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए थे। लोकायुक्त ने प्रमुख अभियंता सहित तकनीकि दल से जांच करवाई थी।

टीम ने निगम से योजना से संबंधित दस्तावेज तलब कर सूक्ष्मता से विभिन्न पहलुओं पर जांच की और आरोप झूठे पाए। नतीजतन कार्य को गुणवत्तापूर्वक व संतोषजनक बताते हुए 20 नवंबर 2020 को जांच समाप्त कर दी। तत्पश्चात 7 दिसंबर 20२० को निगमायुक्त को पत्र लिख योजना से संबंधित दस्तावेज पुन: प्राप्त करने के लिए पत्र लिख दिया।

इन अफसरों पर लगे थे आरोप

पूर्व महापौर ने शिकायत में कार्य के दौरान निगमायुक्त रहे आईएएस महेश चंद चौधरी, एनएस परमार, विवेक श्रोत्रिय, अविनाश लवानिया, अपर आयुक्त विशाल सिंह चौहान, मनोज पाठक, अधीक्षण यंत्री जगदीश डगांवकर, कार्यपालन यंत्री पीएल टटवाल, रामबाबू शर्मा, पीके जाधव, सहायक व प्रोजेक्ट के उपयंत्री पीयूष भार्गव, प्रभारी कार्यपालन यंत्री अरुण जैन, सहायक यंत्री पीएस कुशवाह, पीके सक्सेना व संजय भावसार आदि पर आरोप लगाए थे।

प्रोजेक्ट एक नजर में

३ दिसंबर 2005 को तात्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वुनिंदा शहरों के विकास के लिए जेएनएनयूआरएम का शुभारंभ किया था। शहरी विकास मंत्रालय के तहत शुरू हुई इस योजना के चलते उज्जैन में भी पांच चरणों में विभिन्न विकास कार्य करने के लिए करोड़ों की राशि स्वीकृत हुई थी। इसी के अंतर्गत पहले चरण में महाकाल वन प्रोजेक्ट बनाया गया था।

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