नगर निगम महापौर का पद एक बार फिर अनुसूचित जाति वर्ग के लिये आरक्षित हो गया है। किन्तु इस बार इस पद पर महिला या पुरुष का बंधन नहीं रहेगा। इस बंधन से मुक्त होने के बाद दोनों ही दलों के लिये चुनौती अधिक रहने वाली है। कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही अजा वर्ग के कई नेता हैं जो दावेदारी कर रहे हैं। इन नेताओं में महिलाएं भी शामिल हैं। पिछले दस वर्षों से महापौर का पद भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में रहा है। इस बार किसी भी तरह से कांग्रेस इसे छीनने का प्रयास करेगी। वहीं भारतीय जनता पार्टी के सामने तीसरी बार महापौर पद पर कब्जा बनाये रखना चुनौती होगा। कांग्रेस जनता के बीच में पिछले दस वर्षों की विफलता लेकर जायेगी। वहीं भारतीय जनता पार्टी पिछले दस वर्षों की उपलब्धि का लेखा जोखा जनता के सामने रखेगी। भारतीय जनता पार्टी के लिये एक मजबूत पक्ष यह भी है कि महापौर का चुनाव सीधे जनता के द्वारा प्रत्यक्ष प्रणाली के द्वारा होना है। प्रत्यक्ष प्रणाली के द्वारा महापौर का चुनाव होना हमेशा भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में रहा है। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गली गली घूमकर चुनाव प्रचार करना भी भाजपा को मजबूत करता है।