सप्तसागर सहेजने के लिए वैष्णव संतों ने दिया धरना
उज्जैन, अग्निपथ। शहर की प्राचीन धरोहर सप्तसागरों को सहेजने के लिए शुक्रवार से संतो ने आंदोलन की शुरूआत की। रामादल अखाड़ा परिषद की अगुवाई में शहर के वैष्णव साधु-संतो ने बुधवारिया के निकट गोवर्धन सागर के तट पर धरना देकर भगवान श्री राम के भजन गाए। साधु-संतो का यह धरना निरंतर जारी रहेगा।
रामादल अखाड़ा परिषद के वरिष्ठ सदस्य महंत श्री काशीदास, महामंडलेश्वर श्री ज्ञानदास जी निर्मोही व श्री क्षेत्र पंडा समिति के अध्यक्ष प. राजेश त्रिवेदी के मुताबिक संतो के धरना प्रदर्शन के पहले दिन वैष्णव संतो के अलावा शहर की विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
रामादल अखाड़ा परिषद के वरिष्ठ सदस्य महंत श्री भगवानदास ने सप्तसागरों के प्राचीन महत्व और इनकी वर्तमान उपयोगिता पर प्रकाश डाला। श्री क्षेत्र पंडा समिति के सदस्य प. वासुदेव शास्त्री ने कहा कि पुरूषोत्तम मास में सप्तसागरों के पूजन का विधान है। प्रशासन को सप्तसागरों को संरक्षित कर ऐसी व्यवस्था करना चाहिए जिससे पुरूषोत्तम मास के अलावा भी उज्जैन के धर्मालुजन और बाहर से उज्जैन दर्शन करने आने वाले यात्रीगण भी सप्तसागर के दर्शन का पुण्यफल अर्जित कर सके।
धरने को महंत श्री मुनिशरणदास जी, महंत श्री राघवेंद्रदास जी, महंत श्री रामशरणदास जी, महंत श्री विशालदास जी, पूर्व पार्षद ओम अग्रवाल आदी ने संबोधित किया। सप्तसागर संरक्षण आंदोलन के धरने में प्रमुख रूप से रामादल अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत डा. रामेश्वरदास जी, महंत श्री दिग्विजयदास जी, महंत श्री परमेश्वरदास जी त्यागी, महंत श्री रामचंद्रदास जी, महंत श्री शंकरदास जी, महंत श्री मोहनदास जी, महंत श्री रूपकिशोरदास जी, महंत श्री मंगलदास जी, शिव लश्करी, श्री सत्यनारायण जी वैष्णव, प. गौरव शर्मा, शांतिलाल जी कुमावत, जयप्रकाश जी शर्मा आदी प्रमुख रूप से शामिल हुए।