गणपति मंदिरों में लगे 56 भोग, हुई महाआरती
उज्जैन, अग्निपथ। माघी तिल चतुर्थी का पर्व शुक्रवार को मनाया गया। दरअसल हिंदू पंचांग कैलेंडर के अनुसार वर्ष में चार चतुर्थी मनाई जाती है । जिसमें से माघी तिल चतुर्थी सबसे बड़ा पर्व रहता है। इस अवसर पर सभी गणेश मंदिरों में महाआरती के साथ हवन पूजन संपन्न हुआ।
गणेश मंदिरों में सुबह से ही भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। महाकालेश्वर मंदिर स्थित सिद्धि विनायक मंदिर में महानिर्वाणी अखाड़े के महंत और मंदिर प्रशासक द्वारा महाआरती संपन्न की गई।
माघी तिल चतुर्थी पर विशेषकर महिलाओं द्वारा इस व्रत को अपनी सुख समृद्धि के लिए किया जाता है। सुबह से ही मंदिरों में श्रंृगार सहित जवन पूजन के आयोजन शुरू हो गए थे। चिंतामन गणेश मंदिर में भगवान का विशेष श्रँंृगार किया गया था। इसके बाद भगवान को तिल के 56 भोग लगाए गए। मंदिर समिति द्वारा इस अवसर पर तिल के प्रसाद का वितरण भी शुरू किया गया था।
दसभुजा धारी गणेश मंदिर
चक्रतीर्थ स्थित अति प्राचीन 10 भुजा धारी गणेश मंदिर में भगवान गणेश का आकर्षक श्रंृगार किया गया। यहां पूरे मंदिर को विशेष ढंग से सजाया गया । भगवान गणेश को तिल और राजगिरा के लड्डू की बड़ी माला पहनाई गई। यहां बता दें कि भगवान गणेश का श्रृंगार श्रद्धालु और मंदिर समिति मिलकर करती है ।
चोर गणपति मंदिर
षडविनायकों में से एक चोर गणपति मंदिर विष्णु सागर के पास स्थित है। यहां पर भगवान का चांदी के वर्क से आकर्षक श्रृंगार किया गया। इनको चोर गणपति इसलिए कहा जाता है कि पूर्व में यह मंदिर सूनसान जगह पर होने के कारण चोर यहां पर आकर चोरी किए गए सामानों को भगवान को अर्पित करते थे।
सिद्धि विनायक में प्रशासक ने की महाआरती
पुजारी चम्मू गुरु के आचार्यत्व में महाकालेश्वर मंदिर स्थित सिद्धि विनायक मंदिर में भगवान का श्रंृगार कर तिल के 56 भोग लगाए गए। दोपहर 1 बजे भगवान की महाआरती की गई। महाआरती में महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीतगिरीजी महाराज, प्रशासक गणेश कुमार धाकड़, पुजारी प्रदीप गुरु सहित अन्य संत शामिल रहे। सभी अतिथियों का दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया गया। शास्त्रों के अनुसार भगवान सिद्धिविनायक गणेश की स्थापना राजा भृतहरि ने की थी । जो कि लगभग 2700 वर्ष पुराना मंदिर है।
स्थिरमन गणेश मंदिर
गढक़ालिका क्षेत्र स्थित स्थिरमन गणेश मंदिर में विशेष आयोजन हुआ। यहां भगवान गणेश को 56 पकवानों का महा भोग लगा और महायज्ञ किया गया । दरअसल यहां भगवान गणेश को तिल के व्यंजन चढ़ाए गए। शास्त्रों के अनुसार स्थिरमन गणेश की स्थापना भगवान राम ने की थी । ऐसा बताया जा रहा है कि माता सीता के कहने पर इस मंदिर की स्थापना की गई । यहां गणेश जी की दो प्रतिमाएं हैं। एक स्थिर मन दूसरा चिंता हरण। महंत राघवेंद्र दास ने जानकारी देते हुए बताया कि तिल चतुर्थी पर्व को भगवान गणेश की शादी की सालगिरह के रूप में भी मनाया जाता है। स्थिर मन गणेश को नाभि गणेश भी कहते हैं।
भगवान महाकाल का गणेश श्रंृगार
शुक्रवार की सुबह तिल चतुर्थी के अवसर पर भस्मारती के बाद भगवान महाकाल का गणेश स्वरूप में श्रंृगार किया गया था। वहीं सांध्यकालिन आरती से पूर्व भगवान का गणेश स्वरूप में आकर्षक श्रंृगार किया गया। पुजारी प्रदीप गुरु के यजमान की ओर से श्रृंगार करवाया गया था।