उज्जैन, अग्निपथ। अवंतिकापुरी खालसा के महंत श्री श्री 1008 रामकुमारदासजी महाराज 80 वर्ष की आयु में शनिवार 29 जनवरी को ब्रह्ममुहूर्त में ब्रह्मलीन हो गए।
समाजसेवी हरिसिंह यादव एवं रवि राय ने बताया कि श्री रामकुमारदासजी महाराज सन् 1978 में उज्जैन में आए थे। तथा उज्जैन के क्षीरसागर में सबसे बड़ा यज्ञ किया था तथा 9 दिवसीय रामायण की थी। उन्होंने मानस भवन क्षीरसागर की स्थापना की। 1980 के सिंहस्थ में श्री श्री 1008 अवंतिकापुरी खालसा के महंत रामकुमारदास महाराज बनाए गए। उस दौरान मानस भवन को यथा स्थिति में छोडक़र नई सडक़ पर नया आश्रम बनाया तथा श्री राम सीता का मंदिर का निर्माण किया।
तब से इसी आश्रम में रहकर प्रभु भक्ति की तथा समाज को मार्गदर्शन महाराजश्री देते रहे। शनिवार को रामकुमारदासजी महाराज के ब्रह्मलीन होने पर श्री राम सीता मंदिर से उनका डोल सजाकर निकाला गया जिसमें महंत भगवान दास महाराज, रामदासजी, ओमकारेश्वर मुनि, शरणजी महाराज, रामशरण महाराजजी, बालकृष्णजी महाराज, लालदास महाराज, दिग्विजय सिंहजी महाराज, महेंद्र कटियार, जगदीश शुक्ला, विनोद लाला, राम सांखला सहित बड़ी संख्या में साधु संत, उनके अनुयायी शामिल हुए। विभिन्न मार्गों से निकले डोल पर शहरभर में पुष्पवर्षा की गई।
महाराजश्री की अंत्येष्टि उनके उत्तराधिकारी हनुमानदासजी द्वारा की गई। महाराजश्री के प्रति उनके भक्तों में इतनी आस्था है कि महिलाएं भी श्मशान तक पहुंची।