सिद्ध योग में वसंत पंचमी, प्रदोष काल में रवि योग भी
उज्जैन। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है यह सरस्वती के प्राकट्य का दिवस भी है। इसी दिन से बसंत ऋतु का आरंभ माना गया है। इस बार माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर 5 फरवरी शनिवार का दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र तथा मीन राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है। सांदीपनि आश्रम में विद्यारंभ संस्कार कराया जाएगा। वहीं बड़ा गणेश मंदिर में पीली सरसों व पुष्प अर्पित किए जाएंगे।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला ने बताया कि बसंत पंचमी पर्व इस बार 5 फरवरी को मनाया जाएगा। किसी भी पर्व या त्यौहार में पंचांग में पांच अंगों का विशेष महत्व बताया गया है। यदि कोई शुभ योग पर्व पर बनता हो तो उस पर्व की विशेषता बढ़ जाती है। इसी दृष्टि से बसंत पंचमी पर इस बार सिद्ध नाम का योग बन रहा है। इस युग में विपणी या व्यवसाय की शुरुआत भी की जा सकती है।
सांदीपनि आश्रम में विधा आरंभ संस्कार
भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम में वसंत पंचमी पर विद्या आरंभ संस्कार होंगे। पुजारी पं.रूपम व्यास ने बताया सुबह भगवान को केसर व हल्दी मिश्रित जल से स्नान कराया जाएगा। इसके बाद पीतांबर धारण कराकर केसरिया भात का भोग लगाकर आरती की जाएगी। वसंत पंचमी पर मंदिर में विद्या आरंभ संस्कार की परंपरा है। इस दिन विद्या आरंभ करने वाले छोटे बच्चों का पाटी पूजन कराया जाता है। बड़ी संख्या में भक्त इस दिन बच्चों को लेकर पाटी पूजन कराने आते हैं।
पीली सरसों और चार वेद मंत्रों से पूजा
महाकाल मंदिर के समीप स्थित बड़े गणेश मंदिर में वसंत पंचमी पर वसंत पूजा होगी। ज्योतिर्विद पं.आनंदशंकर व्यास ने बताया चार वेदों के मंत्रों से भगवान महागणेश का पूजन होगा। भगवान को पीली सरसों तथा इस ऋतु में आने वाले समस्त प्रकार के पुष्प अर्पित किए जाएंगे। साथ ही गुलाल का अर्पण होगा। इसके बाद वेदपाठी बटुकों द्वारा ज्ञान की देवी माता सरस्वती का पूजन किया जाएगा।